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हम खबरों में से खबरें निकालते हैं बाल की खाल की तरह, New Delhi Rizwan
1️⃣ "तालियां और नारे अब मैनेजमेंट से तय"
वायरल वीडियो ने साफ कर दिया है कि कब ताली बजानी है और कब "मोदी-मोदी" का शोर मचाना है, इसकी बाकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है।
वीडियो मोदी के लिए नारे और तालियों की ट्रेनिंग देता हुआ नेता"
2014 के बाद से भारत की राजनीति का केंद्रबिंदु सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी बन गए हैं। ऐसा लगता है मानो भारतीय राजनीति अब भाजपा और मोदी के इर्द-गिर्द ही घूमती है। विपक्ष की भूमिका बस चुनाव लड़ने तक सीमित रह गई है—मानो वे मैदान में उतरने से पहले ही खुद को हारा हुआ मान बैठते हों।
चुनाव कहीं भी हो, नतीजे चाहे जो हों, हर तरफ बस एक ही शोर सुनाई देता है—"मोदी… मोदी… मोदी"। लेकिन अब इसी शोर के पीछे का खेल उजागर हो गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सिर्फ डेढ़ मिनट के एक वीडियो ने भाजपा के पूरे मैनेजमेंट की पोल खोलकर रख दी है। इस वीडियो को न तो कोई फेक, फर्जी, विपक्षी प्रोपगंडा कह सकता है और न ही इसे नकारा जा सकता है, क्योंकि इसमें दिख रहे सभी चेहरे भाजपा के ही कट्टर कार्यकर्ताओं के हैं। शक तो यही जताया जा रहा है कि उन्हीं में से किसी ने भाजपा के खिलाफ यह वीडियो लीक कर दिया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर डाला। Rizwan
📰 खबर (News Article)
भारतीय राजनीति में नारों का शोर और तालियों की गड़गड़ाहट हमेशा नेताओं के जोश और जनता के समर्थन की पहचान मानी जाती रही है। लेकिन एक वायरल वीडियो ने इस छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मंच पर मौजूद नेता कार्यकर्ताओं को "ट्रेनिंग" दे रहे हैं—
👉 कब ताली बजानी है,
👉 कब "मोदी-मोदी" का नारा लगाना है,
👉 और किस मौके पर जोश दिखाना है।
यानी जोश अब जनता से नहीं, बल्कि स्क्रिप्ट और मैनेजमेंट से तय हो रहा है।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। कोई कह रहा है—"यह लोकतंत्र का मज़ाक है", तो कोई लिख रहा है—"मोदी शो के लिए सबकुछ पहले से सेट है।"
🤔 सवाल ये उठता है कि जब नारे और तालियां भी स्क्रिप्टेड होने लगें, तो असली जनता की आवाज़ कहां रह जाती है?
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