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इजरायली हवाई हमले में 19 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है, वह भी गज़ा के उन आख़िरी अस्पतालों के आस-पास जहाँ अभी भी काम चल रहा है। (Palestine)


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New Delhi Rizwan

गाजा के आखिरी चालू अस्पतालों के पास इजरायली हमलों में 19 फिलिस्तीनी मारे गए

New Delhi 18 September 2025 

इज़रायली सेना ने गाज़ा पर हमलों की एक नई लहर शुरू कर दी है, अस्पतालों को निशाना बनाया है और कम से कम 83 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं। मिसाइलों ने अल-शिफ़ा और अल-अहली अस्पतालों के आसपास के इलाकों पर हमला किया है।
हमास ने इन हमलों की युद्ध अपराध के रूप में निंदा की है, ब्रिटेन के मध्य पूर्व मंत्री ने अल-रंतिसी अस्पताल पर बमबारी पर चिंता व्यक्त की है, जहाँ 40 मरीज़ों को भागने पर मजबूर होना पड़ा और 40 से ज़्यादा मरीज़ कर्मचारियों के साथ अंदर फंसे रहे।
संयुक्त राष्ट्र ने गाज़ा में इज़रायली कार्रवाई को नरसंहार घोषित किया है, जिसमें अल बासमा आईवीएफ केंद्र के विनाश पर प्रकाश डाला गया है और गाज़ा के स्वास्थ्य क्षेत्र को ध्वस्त करने के व्यवस्थित अभियान को "चिकित्सा-हत्या" बताया गया है - स्वास्थ्य कर्मियों की हत्या और अस्पतालों को नष्ट करके उस परिक्षेत्र में चिकित्सा सेवा को खत्म करना। Yahoo

Gaza under Israeli airstrikes near hospitals.
Credit To AL Jazeera 



दक्षिणी गाजा में चिकित्सकों ने नए विस्थापित फिलिस्तीनियों की लहर पर चिंता जताई

गाजा में अभी भी कार्यरत सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों का कहना है कि अगर इज़रायली हमले बढ़ने के कारण लाखों फ़िलिस्तीनी तबाह क्षेत्र के उत्तरी भाग से भाग गए, तो नए घायल और बीमार मरीज़ों की बाढ़ से वे अभिभूत हो जाएँगे।

गाजा के दक्षिण में खान यूनिस के पास नासिर चिकित्सा परिसर के नर्सिंग निदेशक डॉ. मोहम्मद सकर ने कहा कि मौजूदा माँग को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं और दवाइयों और ईंधन की आपूर्ति कम होती जा रही है।

सकर ने शुक्रवार को परिसर से भेजे गए एक वॉइस नोट में कहा, "हम 23 महीने से ज़्यादा समय से आपातकालीन स्थिति में काम कर रहे हैं, इसलिए हम सब थक चुके हैं।" "हम में से कुछ अभी भी इज़रायली जेलों में हैं और कुछ अस्पताल के अंदर और बाहर मारे गए और कुछ को मौत से बचने के लिए गाजा पट्टी छोड़नी पड़ी, इसलिए हमारी संख्या युद्ध से पहले जितनी नहीं है।" The Guardian+2Wikipedia+2

गाजा युद्ध के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमले

गाजा युद्ध के दौरान स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं पर बड़ी संख्या में हमले हुए। युद्ध के पहले सप्ताह के दौरान, इज़राइल और गाजा में स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं पर 94 हमले हुए, जिसमें 29 स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी मारे गए और 24 घायल हुए।[1] स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं पर हमलों ने गाजा में एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया।[2] 30 नवंबर तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वास्थ्य सेवा पर 427 हमलों का दस्तावेजीकरण किया, जिसके परिणामस्वरूप 566 मौतें और 758 घायल हुए।[3] फरवरी 2024 तक, यह बताया गया कि "ईंधन की कमी के कारण गाजा का हर अस्पताल या तो क्षतिग्रस्त है, नष्ट हो गया है, या सेवा से बाहर है।"[4] अप्रैल तक, WHO ने गाजा, वेस्ट बैंक, इज़राइल और लेबनान में स्वास्थ्य सेवा पर 906 हमलों की पुष्टि की थी। Wikipedia+2The Guardian+2

🌍 दुनिया क्यों शांत दिखती है — इसके कुछ कारण

यह कहना आसान नहीं है कि “दुनिया खामोश है”, क्योंकि वास्तव में बहुत से लोग, संगठन, सरकारें बोल रहे हैं। लेकिन यह सच है कि बोलने के बाद भी कार्रवाई कम होती है। इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं:

  1. राजनैतिक और कूटनीतिक उलझनें
    कई देशों के लिए इस तरह के मामलों में सीधा दखल देना लंबी-दलित प्रक्रिया है, जिसमें हित, गोपनीय सूचनाएँ, रणनीतिक गठबन्धन, सुरक्षा चिंताएँ आदि शामिल होती हैं।

  2. जानकारी और सत्यापन की चुनौतियाँ
    अक्सर यह तय करना मुश्किल होता है कि कौन सा हमला किसने किया, लक्ष्य क्या था, क्या सैन्य उद्देश्य था या नहीं, इत्यादि। इससे अंतरराष्ट्रीय दबाव या कानूनी कार्रवाई करने में समय लगता है।

  3. राष्ट्र-सुरक्षा और सैन्य हित
    कुछ देशों के लिए, इजरायल के साथ उनके संबंधों, सुरक्षा चिंताओं, आतंकवाद विरोधी नीतियों आदि के कारण अधिक कठोर सार्वजनिक टिप्पणी या प्रतिबंध लगाना मुश्किल है।

  4. मानवाधिकार कानून और युद्ध कानून की सीमाएँ
    अंतरराष्ट्रीय कानूनों में अस्पतालों की सुरक्षा, नागरिकों की रक्षा आदि के नियम हैं — लेकिन जब युद्ध के बीच “असाधारण परिस्थितियाँ” सामने आती हैं, तो ये कानून लागू करना और न्यायालयों में साबित करना कठिन होता है।


🔍 क्या किया जा सकता है / क्या उम्मीद की जा सकती है

  • अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाना — देशों, संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों से ज़्यादा कड़े बयान, प्रतिबंध, या अन्य कूटनीतिक कार्रवाई।

  • न्यायालयों तक पहुँचना — अंतरराष्ट्रीय न्यायालय या अन्य मानवाधिकार न्यायालयों में दावों को उठाना, साक्ष्यों को इकट्ठा करना।

  • मीडिया और नागरिक समाज की भूमिका — मीडिया रिपोर्टिंग बढ़ाना, आम जनता को जागरूक करना कि यह सिर्फ “दूसरों की कहानी” नहीं है।

  • मानवीय सहायता का समर्थन — अस्पतालों, यूनिसेफ, MSF आदि की मदद करना ताकि घायल और नागरिकों को राहत मिल सके।

  • स्थिर समाधान की मांग — सिर्फ हमले बंद हों, बल्कि युद्ध की मूल वजहों पर, न्यायपूर्ण राजनीतिक समाधान की दिशा में काम हो।


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