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कबीर नगर गली नंबर 6: मुर्दों का भला, जिंदा लोग बदहाल

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दिल्ली समाचार

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गेट हाजी जरीफ काउंसलर ने लगवा दिया, मुर्दों का भला हो गया; कब्रिस्तान की साफ-सफाई हो गई, मुर्दों का और ज्यादा भला हो गया—मगर जिंदा लोगों के काम आने वाली गली-रास्ता, इनके लिए दोनों आंखें मूंदे बैठे हैं।

कबीर नगर की गली नंबर 6 में स्थित बच्चों वाला कब्रिस्तान हाल में पूरी तरह से सज-धज गया। नया गेट लगा, अंदर साफ-सफाई की गई और व्यवस्थाएँ दुरुस्त हुईं। यह काम काउंसलर हाजी जरीफ और क्षेत्र के प्रतिनिधि गोपाल राय (MLA) के स्तर पर कराया गया—लोगों ने गेट देखकर वाह-वाह भी की।

लेकिन इसी काम के दौरान कब्रिस्तान तक सामान पहुँचाने वाली ट्रैक्टर-ट्रॉली जिस रास्ते से आती-जाती रही, उसी से सटा गटर नीचे बैठ गया और पूरी तरह ब्लॉक हो गया। अब नतीजा यह है कि गली गंदे पानी के तालाब में तब्दील है; बदबू, मच्छर और गंदगी से लोग त्रस्त हैं।

“कंप्लेंट पर कंप्लेंट की जा रही है, मगर सुनवाई कहीं नहीं।”

बस्ती के लोगों का कहना है कि जिंदा इंसानों की प्राथमिकताएँ—गली, रास्ता, गटर, सफाई और स्वच्छता—किसी की सूची में नहीं दिख रहीं। बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है, बुज़ुर्गों को फिसलन भरे पानी में चलना दुश्वार है और महिलाएँ रोज़मर्रा के काम से बाहर निकलने में असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

नेताओं से सीधे सवाल

  • क्या विकास सिर्फ कब्रिस्तान की दीवार तक सीमित है?
  • क्या जिंदा बस्ती का गटर और जलनिकासी किसी एजेंडे में नहीं?
  • क्या वोट सिर्फ मुर्दों के नाम पर लिए जाते हैं?

गली नंबर 6 का मौजूदा मंजर यही बताता है—कब्रिस्तान चमक रहा है, और जिंदा लोग गटर के पानी में अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी काटने पर मजबूर हैं।

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