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आज़म खान को Y-श्रेणी सुरक्षा वापस — क्या यह **सुरक्षा** है या सत्ता-संदेश?


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Edition: Evening • Date: 12 October 2025 • Editor: रिज़वान (Times Watch)
आज़म खान को Y-श्रेणी सुरक्षा वापस — क्या यह **सुरक्षा** है या सत्ता-संदेश?
रिहाई के बाद प्रशासन ने सुरक्षा बहाल की; प्रशासन कहता है 'कानून-व्यवस्था' की चिंता, विपक्ष और विश्लेषक देखते हैं राजनीतिक संदेश।

वरिष्ठ सपा नेता **आज़म खान** को उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार शाम **Y-श्रेणी सुरक्षा** बहाल की है — यह फैसला उनके जेल से रिहाई के कुछ दिनों बाद लिया गया। प्रशासन का कहना है कि रिहाई के बाद बड़ी संख्या में आगंतुक और सार्वजनिक आयोजन होने से **कानून-व्यवस्था** की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा आवश्यक हो गई। 0

Azam Khan returning to Rampur amid supporters; Y-category security deployed around home".


इस **नए सुरक्षा आवंटन** के अनुसार, आज़म खान के आसपास अलग-अलग समयों पर कुछ गनर और PSO तैनात किए गए हैं; रिपोर्ट्स बताती हैं कि सुरक्षाकर्मियों की संख्या 7-11 के मध्य हो सकती है और घर-पर पोस्ट तथा काफिले के साथ सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। 1

इतिहास गवाह है कि 2023 में उसी सरकार ने उनकी Y-श्रेणी सुरक्षा वापस ले ली थी — तब निर्णय को गृह विभाग की सुरक्षा समिति के रिपोर्ट पर तर्कसंगत ठहराया गया था। उन घटनाक्रमों का स्मरण इस फैसले की टाइमिंग को और राजनीतिक संदर्भ देता है। 2

विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम दो तरह से पढ़ा जा सकता है — पहला: वास्तविक **खतरे** और भीड़-प्रबंधन को देखते हुए प्रशासनिक जरूरत; दूसरा: राजनीतिक संकेत — यानी यह दिखाना कि सरकार किसे कितना सुरक्षा कवच देती/घटाती है। इसलिए यह मामला **मिश्रित** दिखाई देता है — न सिर्फ़ सुरक्षा बल्कि एक **राजनीतिक संदेश** भी है। (नीचे स्रोत देखें)। 3

🔍 तथ्य: क्या मालूम है सार्वजनिक स्रोतों से

  1. Y श्रेणी सुरक्षा क्या होती है
    भारत में VIP / VVIP सुरक्षा व्यवस्था को श्रेणियों में बाँटा जाता है — जैसे SPG, Z+, Z, Y+, Y, X आदि। Wikipedia
    Y श्रेणी सुरक्षा में आमतौर पर 8 सुरक्षाकर्मी (या आसपास की संख्या), एवं 1-2 Personal Security Officers (PSO) शामिल होते हैं। Navbharat Times+3Wikipedia+3Navbharat Times+3

  2. सुरक्षा बहाली / हटाई जाना — इतिहास

    • जुलाई 2023 में, योगी सरकार ने आज़म खान की Y श्रेणी सुरक्षा को वापस ले लिया था। ABP Live+4The Times of India+4The Economic Times+4

    • उस समय गृह विभाग ने कहा कि “कोई उचित कारण नहीं है” सुरक्षा बनाए रखने का। ABP Live+3The Economic Times+3NewsBharati+3

    • बाद में, “provisional security” (अस्थायी सुरक्षा) दी गई थी, यानि कि कुछ साधारण सुरक्षा व्यवस्था बरकरार रखी गई। The Siasat Daily

  3. हाल की घटना — सुरक्षा वापसी

    • 12 अक्टूबर 2025 की खबरों में कहा गया कि आज़म खान को हमेशा की तरह Y श्रेणी सुरक्षा वापस दी गई है। Navbharat Times+3AajTak+3Patrika News+3

    • खबरों के अनुसार यह बहाली “रिहाई के बाद” और “उनकी राजनीतिक सक्रियता” को ध्यान में रखकर की गई है। Navbharat Times+4AajTak+4Patrika News+4

    • सुरक्षा पुनर्स्थापित करने का तर्क स्थानीय खुफिया रिपोर्टों, सुरक्षा समीक्षा और संभावित खतरे की बात को आधार बनाकर बताया गया है। Navbharat Times+3Patrika News+3The Times of India+3

    • रिपोर्टों में यह कहा गया कि सुरक्षा दल में कमांडो, गनर और PSO शामिल होंगे। Navbharat Times+1


🧮 विश्लेषण: दबदबा या सर्विलांस?

फैसले को “दबदबा” कहें या “सरकार की निगरानी / सर्विलांस”, इसके लिए कुछ प्वाइंट देखें:

पहलूदबदबा पक्ष में तर्कसर्विलांस / राजनीतिक तर्क हो सकते हैं
टाइमिंगसुरक्षा तब बहाल हुई जब आज़म खान जेल से रिहा हुए और राजनीतिक गतिविधियाँ शुरू कीं — यह दिखाता है कि सरकार मान रही है उनकी राजनीतिक उपस्थिति है।अगर सुरक्षा निर्णय ख़ुफिया रिपोर्ट या खतरे आधारित हो, तो यह सरकारी नियंत्रण या निगरानी का ज़रूरी हिस्सा हो सकता है।
न्यायसंगत आधारअगर सुरक्षा-निर्धारण प्रक्रिया पारदर्शी हो, खतरे का मूल्यांकन हो, सुरक्षा समिति की रिपोर्ट हो — तो यह दबदबा नहीं, ज़रूरत है।यदि निर्णय अचानक, बिना स्पष्ट वजह या समीक्षा के हो, या विपक्षी नेताओं को विशेष सुरक्षा दी जाए जबकि समान खतरे में अन्य लोगों को नहीं — तो यह पक्षपात / नियंत्रण की संभावना बढ़ जाती है।
पूर्व घटनापहले सुरक्षा हटाई गई थी (2023 में) — यह बताता है कि सरकार सुरक्षा देने और लेने में स्वायत्त निर्णय लेती है।सुरक्षा हटाने और फिर बहाल करने का चक्र यह संकेत दे सकता है कि सुरक्षा को सत्ता-संबंधी निर्णयों के अनुरूप उपयोग किया जाता है।
सकल राजनीतिक संदर्भआज़म खान सपा के बड़े नेता हैं, उनके समक्ष खतरे (शत्रु, हिंसात्मक संघर्ष) संभव हो सकते हैं — सुरक्षा देना राज्य का काम है।लेकिन अगर यही सुरक्षा निर्णय सत्ता की रणनीति, राजनीतिक संदेश या जनआस्था प्रभावित करना चाहता हो — तो वह दबदबा या राजनीतिक नियंत्रण हो सकता है।

✅ निष्कर्ष (मेरी राय)

मेरे हिसाब से, जो तथ्य हम जानते हैं, उस आधार पर:

  • इस सुरक्षा बहाली को पूरी तरह सिर्फ “दबदबा” कहना ज़रूर अतिशयोक्ति होगी, क्योंकि सुरक्षा निर्णयों में खतरे के आकलन की ज़रूरत होती है।

  • लेकिन “सरकार का सर्विलांस / नियंत्रण” का तर्क भी निराधार नहीं है — क्योंकि सुरक्षा वापस लेने और देने की प्रक्रिया में राजनीतिक तत्वों की संभावना बनी रहती है।

  • असल में यह मिश्रित मामला दिखता है — सुरक्षा की आवश्यकता + राजनीतिक संवेदनशीलता दोनों मिलकर काम कर रही हों।

Quick take:
  • Fact: Y-श्रेणी सुरक्षा बहाल। 4
  • Context: सुरक्षा 2023 में हटाई गई थी; अब रिहाई के बाद बहाल। 5
  • Reading: सुरक्षा + राजनीतिक संदेश — दोनों संभव।

Sources & further reading:
  1. Times of India — report on Y-category reinstatement. 6
  2. Economic Times — background on his release and security history. 7
  3. UNI/Statesman coverage confirming restoration and local details. 8
  4. Indian Express — historical note on 2023 security withdrawal. 9


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