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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA सीट-साझेदारी समझौते की घोषणा


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BJP और JD(U) को 101-101 सीटें, LJP(RV) को 29 और HAM, RLM को 6-6 सीटें

Published on: 12 October 2025 | Patna Edition Rizwan... 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA ने सीट-साझेदारी समझौते की घोषणा की

पटना: रविवार को NDA ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट-साझेदारी समझौते की घोषणा की। BJP और JD(U) प्रत्येक 101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। LJP(RV) को 29 सीटें और HAM(S)RLM को 6-6 सीटें दी गई हैं।

सीट-साझेदारी का विवरण

  • BJP: 101 सीटें
  • JD(U): 101 सीटें
  • LJP(RV): 29 सीटें
  • HAM(S): 6 सीटें
  • RLM: 6 सीटें

HAM(S) और RLM के लिए सीटों का वितरण

  • HAM(S): इमामगंज, टेकारी, सिकंदरा, बराचट्टी, अत्री, कुतुबमांझी
  • RLM: ओबरा, सासाराम, मधुबनी, बाजपट्टी, नरकटिया, दुमरांव, महुआ

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और गठबंधन की रणनीति

  • चिराग पासवान (LJP):
    चिराग ने सीट-साझेदारी समझौते को सकारात्मक बताते हुए कहा कि NDA के साथ उनका गठबंधन बिहार में स्थिरता और विकास की दिशा में काम करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि LJP(RV) की 29 सीटें पार्टी के राजनीतिक महत्व को दर्शाती हैं और उनकी टीम हर सीट पर सक्रिय रूप से चुनाव लड़ेगी। यह संकेत है कि चिराग अपने समर्थन के बदले गठबंधन में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहते हैं।

  • जितन राम मांझी (HAM):
    मांझी ने शुरुआती दौर में 15 सीटों की मांग की थी, लेकिन समझौते के बाद उन्होंने 6 सीटों पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता NDA के भीतर स्थिरता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के प्रति समर्थन है। मांझी का यह कदम दिखाता है कि HAM(S) गठबंधन के रणनीतिक निर्णयों में सहयोग करने के लिए तैयार है, भले ही उन्हें अपने अनुरूप ज्यादा सीटें नहीं मिली हों।

  • उपेन्द्र कुशवाहा (RLM):
    कुशवाहा ने गठबंधन में एकता बनाए रखने की बात कही और अफवाहों को नकारा। उन्होंने कहा कि RLM की 6 सीटें पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका उद्देश्य चुनाव में NDA की सफलता सुनिश्चित करना है। कुशवाहा की यह प्रतिक्रिया गठबंधन की मजबूती और संभावित मतदाताओं को भरोसा दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है।

Bihar NDA leaders (File photo)

राजनीतिक असमानता और गठबंधन का खेल है जो अक्सर बिहार और अन्य राज्यों में देखने को मिलता है। मैं इसे साफ़-साफ़ समझाता हूँ:

  1. BJP का दबदबा:

    • BJP के पास केंद्र में सत्ता है और अधिकांश राज्यों में भी मजबूत आधार। इसका मतलब है कि वह गठबंधन में सबसे “बड़ा खिलाड़ी” होता है।

    • ऐसे में अन्य पार्टियों को अपनी मांगों को लेकर समझौता करना पड़ता है, चाहे सीटें कम मिलें या कोई विशेष पद का वादा कम हो।

  2. छोटे दलों की मजबूरी:

    • चिराग पासवान की LJP(RV), मांझी की HAM(S), और कुशवाहा की RLM छोटे दल हैं। उनका वोट बैंक सीमित है।

    • उन्हें सत्ता के साथ बने रहने या चुनाव में प्रभावी बने रहने के लिए BJP के साथ गठबंधन करना पड़ता है।

    • अगर वे अपनी शर्तें ज़्यादा बढ़ाएँ तो उन्हें अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा, जो उनके लिए राजनीतिक तौर पर जोखिम भरा है।

  3. राजनीतिक संतुलन और सहमति:

    • BJP जानती है कि छोटे दलों के वोट उनके लिए जरूरी हैं। इसलिए उन्हें सीमित सीटें देती है, लेकिन गठबंधन का हिस्सा बनाए रखती है।

    • छोटे दल यह स्वीकार करते हैं कि सीटें कम मिल रही हैं, लेकिन गठबंधन के साथ होने से उन्हें सत्ता के निर्णयों और संसाधनों तक पहुँच मिलती है।


💡 सारांश:
छोटे दल अपने अस्तित्व और वोट बैंक की सुरक्षा के लिए BJP की शर्तें मानने को मजबूर होते हैं। BJP सत्ता में होने के कारण “अधिकारी / शर्त लगाने वाला” बन जाती है, और छोटे दल केवल “सहयोगी” बने रहते हैं।

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