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किया से क्या हो गया राजनीति तेरी Mohabbat में — तालिबान को आतंकी कहने वाली सरकार आज स्वागत क्यों कर रही?


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तालिबान को आतंकी कहने वाली योगी सरकार आज उसके विदेश मंत्री को देवबंद में सुरक्षा और सम्मान दे रही है। क्या यह कूटनीति है या राजनीतिक दोहरापन?

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Sunday, 12 October 2025 | Editor: Rizwan....

“किया से क्या हो गया राजनीति तेरी गंदगी में…”

तालिबान को ‘आतंकवादी’ कहने वाली सरकार, आज उनके मंत्री की मेहमान-नवाज़ी में क्यों लगी?

वक्त बड़ा बेरहम होता है... कल तक जो तालिबान का नाम सुनकर माथे पर बल डालते थे, आज वही उनके प्रतिनिधि को अपने प्रोटोकॉल में सायरन बजाकर देवबंद ले जा रहे हैं। ये राजनीति नहीं, ये गिरगिट का रंग बदलना है — बस फर्क इतना कि गिरगिट शर्माता है, और सत्ता नहीं।

कल तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर आए और सीधे पहुंचे दारुल उलूम देवबंद। रिपोर्टों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश पुलिस ने बाकायदा सायरन और सुरक्षा घेरा देकर उन्हें मदरसे तक पहुंचाया। हजारों लोगों ने वहां उनका स्वागत किया — जैसे किसी बड़े अतिथि का आगमन हुआ हो। और ये सब हुआ योगी आदित्यनाथ के शासन में, उसी प्रदेश में जहां कभी तालिबान का नाम लेते ही “आतंकी” शब्द जोड़ा जाता था।

देवबंद में तालिबान मंत्री के स्वागत का दृश्य
तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी 


भाजपा का पुराना बयान — याद है?

जब 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली थी, तब योगी आदित्यनाथ ने संभल के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था —

“जो तालिबान का समर्थन करता है, वो मानवता पर धब्बा है।”
और आज वही सरकार अपने प्रशासन से तालिबान मंत्री को सुरक्षा व प्रोटोकॉल दिलवा रही है। इसे क्या कहें — नीति परिवर्तन या राजनीतिक पाखंड?

“सुरक्षा या स्वागत?” — जनता का सवाल

सरकारी प्रवक्ता शायद कहेंगे कि यह विदेश मंत्रालय की कूटनीतिक प्रक्रिया है, और राज्य सरकार सिर्फ सुरक्षा प्रोटोकॉल निभा रही थी। लेकिन सवाल उठता है — क्या किसी आतंकी घोषित शासन के प्रतिनिधि को धार्मिक संस्थान तक सुरक्षा सहित पहुंचाना भी सिर्फ प्रोटोकॉल है?

अगर यह सिर्फ सुरक्षा होती, तो दौरे को इतना प्रचारित क्यों किया गया? देवबंद जैसे धार्मिक केंद्र पर तालिबान मंत्री की मौजूदगी क्या बीजेपी के “कट्टरता-विरोधी” नैरेटिव का मज़ाक नहीं उड़ा रही?

जनता के मन में उबलता सवाल

जनता पूछ रही है — “क्या योगी सरकार की पुलिस वही नहीं जिसने कभी तालिबान समर्थकों को गद्दार कहा था?” फिर आज वही पुलिस तालिबान के मंत्री को सम्मानपूर्वक escort क्यों कर रही है?

राजनीति के इस दोगलेपन पर तंज कसना भी अब थकाने लगा है — क्योंकि हर दिन सत्ता अपने ही बयानों का विरोध करती दिखती है, और जनता को “देशभक्ति” के नाम पर बस खेला जा रहा है।

राजनीति की गंदगी में अब पहचान मुश्किल है — कौन तालिबान है और कौन उसका प्रवक्ता।




✍️ यह रिपोर्ट Times Watch की संपादकीय टीम द्वारा तैयार की गई है।
Editor: Rizwan Ahmed
स्रोत: Uptak.in, The Hindu, Indian Express, Scroll, Times of India (Cross Reference)

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