TIMES WATCHदेश दुनिया,
रखे हर खबर पर पैनी नज़र…"
हम खबरों में से खबरें निकालते हैं बाल की खाल की तरह, New Delhi Rizwan
ताज़ा पोस्ट
भारत में सतत विकास की नई पहल: नोएडा एयरपोर्ट से TISS तक ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और शोध का संगम
देश के बड़े प्रोजेक्ट्स और शैक्षिक संस्थानों में अब **पर्यावरण**, **सततता** और **नीति-अनुसंधान** को जोड़कर विकास की नई राहें तलाशी जा रही हैं। इस पैकेज में हम देखेंगे कि कैसे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लो-कार्बन सीमेंट (LC3) के इस्तेमाल और TISS के राष्ट्रीय शोध हब्स जैसी पहलों से दीर्घकालिक, जवाबदेह और हरित विकास को बल मिलता है।
ऐसा विकास और संसाधनों का इस्तेमाल, जो आज की ज़रूरतें तो पूरी करे लेकिन भविष्य की पीढ़ियों के हक़ और संसाधन न छीने। यानी टिकाऊ, न्यायपूर्ण और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाने वाला विकास।✍Rizwan....
नोएडा एयरपोर्ट: लो-कार्बन सीमेंट (LC3) का प्रयोग
बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निर्माण सामग्रियों का चुनाव सीधे पर्यावरणीय प्रभाव और जीवन-चक्र लागत को प्रभावित करता है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट में LC3 (Limestone Calcined Clay Cement) का उपयोग पारंपरिक सीमेंट की तुलना में कम CO₂ उत्सर्जन और लागत-लाभ दोनों देने का वादा करता है। यह कदम बताता है कि बड़े निर्माणों में भी **सस्टेनेबल विकल्प** अपनाए जा सकते हैं — चाहे वह कार्बन फुटप्रिंट घटाना हो या दीर्घकालिक परिचालन लागत बचत।
- पर्यावरण: कम CO₂ उत्सर्जन
- आर्थिक: संभावित निर्माण लागत में बचत
- प्रेरणा: दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए रेफरेंस केस बनना
TISS के राष्ट्रीय शोध हब्स: क्षेत्रीय नीतियों के लिए ज्ञान-अधिष्ठित समर्थन
Tata Institute of Social Sciences (TISS) द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय शोध हब्स का उद्देश्य स्थानीय सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का विश्लेषण कर केंद्रीकृत नीति-निर्माण को सुदृढ़ करना है। इन हब्स से नीति-निर्माता, शोधकर्ता और स्थानीय स्टेकहोल्डर मिलकर कार्य कर सकेंगे—जिससे योजनाएँ स्थानीय जरूरतों के अनुकूल और अधिक प्रभावी बनेंगी।
- स्थानीयकरण: नीतियाँ क्षेत्रीय संदर्भ के अनुरूप बनेंगी
- एक्सपर्ट-इन्पुट: शोध पर आधारित सिफारिशें नीति-निर्माताओं को उपलब्ध होंगी
- समावेशन: समाज के विभिन्न वर्गों को नीतिगत संवाद में जुड़ने का मंच मिलेगा
यह क्यों मायने रखता है — समेकित असर
जब इन्फ्रास्ट्रक्चर और शोध एक साथ चलते हैं तो परिणाम केवल एक इमारत या एक रिपोर्ट तक सीमित नहीं रहते। ऐसे संयोजन से:
- प्रोजेक्ट्स की दीर्घकालिक व्यवहार्यता बेहतर होती है।
- नीति-निर्माण अधिक तथ्य-आधारित और क्षेत्र-विशिष्ट बनता है।
- स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और कौशल विकास के अवसर बढ़ते हैं।
Post a Comment