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🍛 16वीं–18वीं सदी में कैसे बदली भारतीय थाली
भारतीय थाली की जितनी रंग-बिरंगी पहचान है, उसका बड़ा हिस्सा बाहर से आया है। बहुत लोग मानते हैं कि ये सब “हमेशा से” यहाँ थे, लेकिन सच ये है कि अधिकतर मसाले, सब्ज़ियाँ और फल भारत में 15वीं–18वीं सदी के बीच यूरोपीय (ख़ासकर पुर्तग़ाली) और मध्य एशियाई रास्तों से पहुँचे। ✍️ Rizwan
दिल्ली की 18वीं सदी की रसोई में आपको लाल मिर्च, टमाटर, आलू या मक्का नहीं मिलते। ये सारे स्वाद बाद में पुर्तग़ालियों और ब्रिटिश के ज़रिये भारत पहुँचे।
हमारी थाली में जो आज “देशी” मसाले लगते हैं, उनमें से कई असल में विदेशी मेहमान हैं। मिर्च, आलू, टमाटर, मक्का, अमरूद, पपीता, अनानास, काजू और तम्बाकू 16वीं–17वीं सदी में पुर्तग़ालियों के हाथों भारत आए। वहीं चाय 18वीं–19वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ज़रिये पहुँची।
काली मिर्च, हल्दी, इलायची, अदरक, चावल, दालें और गन्ना भारत के प्राचीन मसाले हैं। सूखे मेवे और केसर मध्य एशिया और फारस से मुग़ल काल में आए।
यानी जो चीज़ें आज हमें अपनी लगती हैं, वो दरअसल सदियों के वैश्विक आदान–प्रदान का नतीजा हैं।
खाद्य/मसाला | मूल स्थान | भारत में आने का दौर |
मिर्च (Chili) | दक्षिण अमेरिका | 16वीं सदी |
टमाटर | दक्षिण अमेरिका | 16–17वीं सदी |
आलू | एंडीज़ पर्वत | 17वीं सदी |
मक्का | मेक्सिको | 16वीं सदी |
चाय | चीन | 18–19वीं सदी |
तो अगली बार जब आप आलू–टमाटर की सब्ज़ी में मिर्च डालें, तो याद रखिए ये स्वाद 400–500 साल पहले के ग्लोबल ट्रांसफर की देन हैं
🍛 “दिल्ली की थाली” में बाहर से आये स्वाद
खाद्य/मसाला | मूल स्थान | भारत में आने का अनुमानित दौर | लाने वाले |
---|---|---|---|
मिर्च / लाल मिर्च (Chili) | दक्षिण अमेरिका (मेक्सिको, पेरू) | 16वीं सदी (1498 के बाद) | पुर्तग़ाली |
टमाटर | दक्षिण अमेरिका | 16वीं–17वीं सदी | पुर्तग़ाली |
आलू | एंडीज़ पर्वत (पेरू, बोलिविया) | 17वीं सदी | पुर्तग़ाली |
मक्का (कॉर्न) | मेक्सिको | 16वीं सदी | पुर्तग़ाली/स्पेनिश |
अमरूद | दक्षिण अमेरिका | 16वीं सदी | पुर्तग़ाली |
पपीता | मध्य/दक्षिण अमेरिका | 16वीं–17वीं सदी | पुर्तग़ाली |
अनानास (पाइनऐपल) | ब्राज़ील | 16वीं सदी | पुर्तग़ाली |
काजू | ब्राज़ील | 16वीं सदी | पुर्तग़ाली |
तम्बाकू | अमेरिका | 16वीं सदी | पुर्तग़ाली |
कॉफ़ी | इथियोपिया–यमन | 16वीं–17वीं सदी (मुग़ल काल में लोकप्रिय) | अरब व्यापारी |
चाय | चीन | 18वीं सदी के अंत / 19वीं सदी की शुरुआत (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ज़रिये) | ब्रिटिश |
गाजर (लाल) | अफ़ग़ानिस्तान / मध्य एशिया | मुग़ल काल | अफ़ग़ान–मध्य एशियाई |
संतरा (नेवल/मोसंबी किस्म) | दक्षिण–पूर्व एशिया / चीन | प्राचीन | भारतीय किस्में पहले से, लेकिन आधुनिक नेवल संतरा यूरोपियन रास्तों से |
गन्ना | दक्षिण–पूर्व एशिया / भारत | प्राचीन काल से (भारत में बहुत पुराना) | — |
📝 कुछ रोचक तथ्य
- मिर्च: भारत में असली “तेज़” स्वाद काली मिर्च से आता था, जो यहीं का indigenous है। लाल मिर्च 16वीं सदी में आने के बाद धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत के खाने में छा गई।
- टमाटर: मुग़ल काल में धीरे-धीरे रसोई में घुला। इससे पहले खट्टापन कच्चे आम, इमली और दही से आता था।
- आलू: 17वीं सदी में गोवा और पश्चिमी तट से अंदर आया। दिल्ली–लखनऊ में 18वीं सदी तक भी यह “नया” था।
- चाय: ब्रिटिश ने 19वीं सदी में असम और दार्जिलिंग में बाग़ान लगाए। उससे पहले भारत में “क़हवा” (हरी चाय जैसी) और हर्बल पेय चलते थे।
✨ छोटा “टाइमलाइन”
- प्राचीन काल – गन्ना, हल्दी, अदरक, इलायची, काली मिर्च, तिल, गेहूं, चावल, दालें, नारियल (इनकी जड़ें भारतीय/दक्षिण-पूर्व एशियाई)।
- मध्यकाल – सूखे मेवे (अख़रोट, बादाम, पिस्ता), गाजर, केसर (फारस–कश्मीर), कॉफ़ी।
- 16वीं–17वीं सदी (पुर्तग़ाली दौर) – मिर्च, आलू, टमाटर, मक्का, पपीता, अमरूद, अनानास, काजू, तम्बाकू।
- 18वीं–19वीं सदी (ब्रिटिश दौर) – चाय, हाइब्रिड संतरे, आधुनिक गेहूं की किस्में।
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