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🔴 राजनीति से ऊपर उठकर जनसेवा: कबीर नगर के अंधेरे को चीरती उम्मीद की रोशनी!
टाइम्स वॉच की विशेष प्रस्तुति
दिल्ली में अक्सर राजनीतिक खींचतान की खबरें आती हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि जनसेवा का असली मक़सद क्या है। आज हम बात कर रहे हैं शाहदरा, दिल्ली के कबीर नगर (पिन कोड 110032/110094) की, जहाँ महीनों से फैला गुप अंधेरा चंद घंटों में रोशनी में बदल गया। यह कहानी है निस्वार्थ प्रयास और त्वरित सुशासन की।
कर्दमपुरी नाला रोड: महीनों से छाया अंधेरा
कबीर नगर का कर्दमपुरी नाला रोड इलाका लंबे समय से एक गंभीर समस्या से जूझ रहा था। यहाँ की स्ट्रीट लाइट्स कई महीनों से बंद पड़ी थीं। रात होते ही पूरा इलाका घने अंधेरे में डूब जाता था।
यह केवल असुविधा नहीं थी, बल्कि यह सुरक्षा का एक बड़ा खतरा बन चुका था। अंधेरे में लोगों का आना-जाना मुश्किल हो गया था, और निवासियों को हर वक्त डर सताता था। बार-बार शिकायतें करने के बावजूद, समाधान दूर की कौड़ी था।
हीरो ऑफ़ द कॉलोनी: दिलशाद कुरैशी की निस्वार्थ पहल
जब सरकारी तंत्र विफल हुआ, तो आगे आए इलाके के सच्चे सेवक— दिलशाद कुरैशी। कबीर नगर के सामाजिक कार्यकर्ता दिलशाद कुरैशी किसी पद या चुनावी लाभ के लिए नहीं, बल्कि केवल कॉलोनी वासियों की सहायता के लिए निस्वार्थ भाव से हमेशा तत्पर रहते हैं।
उन्होंने तय किया कि अब केवल शिकायत नहीं, बल्कि सीधे समाधान के केंद्र तक पहुँचना होगा।
दिलशाद कुरैशी जी ने पूरी विनम्रता और दृढ़ता के साथ दिल्ली की मुख्य मंत्री रेखा गुप्ता जी के समक्ष इस गंभीर समस्या को रखा। उनका उद्देश्य स्पष्ट था: जनता को अंधेरे से मुक्ति दिलाना।
मुख्यमंत्री का त्वरित और निर्णायक एक्शन
और यहीं पर, निर्णायक नेतृत्व की पहचान सामने आई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी ने इस समस्या की गंभीरता को समझा। राजनीति या कागज़ी कार्रवाई में उलझे बिना, उन्होंने तत्काल संज्ञान लिया और संबंधित विभाग को स्ट्रीट लाइट्स को तुरंत चालू करवाने का आदेश दिया।
परिणाम चौंकाने वाला था: कुछ ही समय में, कर्दमपुरी नाला रोड और आस-पास की गलियों की बंद पड़ी लाइट्स फिर से चमक उठीं।
लोगों की वर्षों पुरानी तकलीफ एक कर्मठ कार्यकर्ता की पहल और एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के एक्शन से खत्म हो गई। पूरे कबीर नगर में सुकून और सुरक्षा की रोशनी फैल गई।
यह कहानी क्यों मायने रखती है?
हमारा मानना है कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जनता के अच्छे काम को किसी भी कीमत पर नज़रअंदाज़ (फ़रामोश) नहीं किया जाना चाहिए।
यह घटना दो महत्त्वपूर्ण बातें सिखाती है:
निस्वार्थ कार्यकर्ता (जैसे दिलशाद कुरैशी), जो बिना किसी लालच के जनता के लिए लड़ता है, वो समाज की सबसे बड़ी ताकत है।
अच्छा काम करने वाला राजनेता (जैसे रेखा गुप्ता), जो बिना किसी देरी के जनहित के लिए फैसला लेता है, प्रशंसा का पात्र है।
टाइम्स वॉच की टीम की तरफ से, दिलशाद कुरैशी जी की लगन को सलाम! और इस त्वरित समाधान के लिए थैंक्स रेखा गुप्ता जी! जब नेता और जनता के सेवक मिलकर काम करते हैं, तो सुधार ज़रूर होता है।
✍Rizwan....
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