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दोषी कितना भी प्रभावशाली हो, बख्शा नहीं जाएगा: IPS पूरन कुमार सुसाइड केस में CM सैनी का बड़ा आश्वासन


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वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद हरियाणा की सियासत में भूचाल। सीएम नायब सैनी ने परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया, पत्नी IAS अमनीत पी. कुमार ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।

    टाइम्स वॉच

    'दोषी कितना भी प्रभावशाली हो, बख्शा नहीं जाएगा'; आईपीएस पूरन कुमार सुसाइड केस में सीएम सैनी का बड़ा बयान

    खबर: सीएम का परिवार को न्याय का आश्वासन

    हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने सूबे की सियासत और अफसरशाही में हड़कंप मचा दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस घटना पर पहली बार खुलकर बोलते हुए सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस संवेदनशील मामले की गहन जांच कराएगी और दिवंगत आईपीएस के परिवार को न्याय सुनिश्चित करेगी।

    सीएम सैनी ने आईपीएस अधिकारी की पत्नी, आईएएस अमनीत पी. कुमार से भी मुलाकात की है और उन्हें जांच में पारदर्शिता बनाए रखने का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने की अपील करते हुए कहा कि यह समय न्याय सुनिश्चित करने का है।


    सुसाइड नोट और गंभीर आरोप

    2001 बैच के अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को अपने आवास पर कथित तौर पर सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ उनके द्वारा छोड़े गए 9 पन्नों के सुसाइड नोट से आया, जिसमें लगभग 15 वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

    मुख्य आरोपसुसाइड नोट में नामित प्रमुख पदवर्तमान स्थिति
    जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़नहरियाणा के मौजूदा मुख्य सचिव, पूर्व डीजीपीजांच चल रही है।
    सार्वजनिक रूप से अपमानित और प्रताड़ित करनाडीजीपी (शत्रुजीत कपूर), रोहतक एसपी (नरेंद्र बिजारणिया)चंडीगढ़ पुलिस ने एसआईटी बनाई।
    झूठे केस में फंसाने की साजिशकुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारीपीड़ित परिवार ने अभी तक अंतिम संस्कार नहीं किया है।
    परिवार की मांगें और आगे का घटनाक्रम

    आईएएस अमनीत पी. कुमार और दलित संगठनों ने मुख्यमंत्री से चार प्रमुख मांगें की हैं। परिवार इन मांगों के पूरा होने तक शव का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर रहा है।

    • सुसाइड नोट में नामजद सभी व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल **एफआईआर दर्ज** की जाए। (एफआईआर दर्ज हो चुकी है।)
    • सभी आरोपी अधिकारियों को तुरंत **निलंबित और गिरफ्तार** किया जाए।
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए 7 दिनों में **एक्शन रिपोर्ट** मांगी है।

    टाइम्स वॉच विश्लेषण

    यह मामला हरियाणा की अफसरशाही में एक अभूतपूर्व गतिरोध पैदा कर चुका है। हमारा विश्लेषण बताता है:

    • **प्रशासनिक चुनौती:** वरिष्ठ नौकरशाहों पर लगे गंभीर आरोपों से हरियाणा सरकार पर **डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को हटाने का भारी दबाव** है। कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति हो चुकी है।
    • **जातिगत तनाव:** सुसाइड नोट में जाति के आधार पर भेदभाव के आरोपों से दलित समुदाय आक्रोशित है और न्याय न मिलने पर चंडीगढ़ जाम करने की चेतावनी दी गई है।
    • **निष्पक्षता की कसौटी:** सीएम सैनी के आश्वासन के बावजूद, परिवार की मांग है कि गिरफ्तारी से पहले जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती। यह मामला दिखाता है कि सरकार के लिए 'दोषी कितना भी प्रभावशाली हो' वाले बयान को जमीन पर उतारना एक बड़ी **कानूनी और राजनीतिक चुनौती** होगी।

    क्या आपको लगता है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जानी चाहिए? अपनी राय दें।





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