📰 यूक्रेन की जंग: अमेरिका और नाटो ने क्यों दिया अब तक का सबसे बड़ा समर्थन?
रूस-यूक्रेन युद्ध फरवरी 2022 सेके लगातार पूरी दुनिया को झकझोर रहा है। इस युद्ध में रूस की आक्रामकता के सामने यूक्रेन अकेला पड़ गया था।
पश्चिमी देश — ख़ासकर अमेरिका और नाटो के सदस्य — इसे
यूरोप की सुरक्षा, लोकतंत्र की रक्षा और रूस की विस्तारवादी नीतियों को रोकने की लड़ाई मानते हैं।
इसी वजह से पिछले ढाई साल में उन्होंने इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक, सैन्य और मानवीय सहयोग यूक्रेन को दिया।
(स्रोत: अल जज़ीरा, 21 अगस्त 2025)
अब तक कुल कितना समर्थन?
- €309 अरब (~$360 अरब) का सैन्य, वित्तीय और मानवीय सहयोग, 41 देशों से (24 जनवरी 2022 से अब तक)।
- (स्रोत: Kiel Institute – Ukraine Support Tracker)
मदद किस रूप में?
- 💣 सैन्य: €149.26 अरब
- 💶 वित्तीय: €139.34 अरब
- 🤝 मानवीय: €21.04 अरब
सबसे ज़्यादा किसने दिया?
- 🇺🇸 संयुक्त राज्य अमेरिका: €114.64 अरब
- सैन्य: €64.6 अरब
- वित्तीय: €46.6 अरब
- मानवीय: €3.4 अरब
- 🇪🇺 यूरोपीय संघ संस्थाएँ: €63.19 अरब
- 🇩🇪 जर्मनी: €21.29 अरब
- 🇬🇧 यूनाइटेड किंगडम: €18.6 अरब
- 🇯🇵 जापान: €13.57 अरब
वादा बनाम वास्तविक फंड
- आवंटित: यूरोप €167.4 अरब, अमेरिका €114.6 अरब
- कुल वादा: यूरोप €257.4 अरब, अमेरिका €119 अरब
👉 हाल में यूरोप ने सैन्य आवंटन में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया।
नई अमेरिकी सरकार के तहत बदलाव
- 9 जनवरी 2025 को अंतिम $500 मिलियन सहायता पैकेज।
- मार्च 2025 में अमेरिका ने समर्थन निलंबित किया।
- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सैनिक भेजने से इंकार किया, केवल सुरक्षा गारंटी और हवाई समर्थन की बात कही।
- “$300 अरब+” का ट्रंप दावा ट्रैकर्स के अनुसार गलत।
कौन से हथियार दिए गए?
- 🛡️ टैंक: पोलैंड – 354
- 🚛 IFV: अमेरिका – 305
- 🎯 हॉवित्ज़र: अमेरिका – 201
- ☂️ एयर-डिफ़ेंस सिस्टम: अमेरिका – 18
- 🚀 HIMARS: अमेरिका – 41 (80 किमी तक सटीक हमला)
नाटो रक्षा खर्च
- जून 2025: नाटो ने GDP का 5% रक्षा खर्च लक्ष्य तय किया (पहले 2%)।
- 32 में से 23 सदस्य पहले ही 2% लक्ष्य पूरा कर रहे हैं।
- औसत खर्च: 2.61% GDP
- एस्टोनिया, लिथुआनिया जैसे देशों ने खर्च तेजी से बढ़ाया।
नाटो के बाहर योगदान
12 गैर-नाटो देशों ने भी योगदान दिया:
ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, स्विट्ज़रलैंड, चीन, ताइवान, भारत आदि।
निष्कर्ष
यूक्रेन को मिला यह सहयोग सिर्फ़ उसकी आज़ादी की जंग नहीं है, बल्कि यूरोप और पश्चिमी लोकतंत्रों की सामूहिक सुरक्षा की लड़ाई भी है। अमेरिका की नीति बदलने के बाद अब यूरोप नेतृत्व कर रहा है, और नाटो ने आने वाले दशक में रक्षा खर्च को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया है।
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