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New Delhi Rizwan
✒️ 2014 के बाद की राजनीति और आये दिन नए नए विवाद
कांवड़िए महीना भर सड़क पर तांडव करें, ट्रैफिक ठप हो जाए, कोई ऐतराज नहीं।
ट्रक-टेंपो में डीजे रखकर भक्ति का प्रदर्शन हो, सड़कों पर जुलूस निकलें, तब भी कोई ऐतराज नहीं।
ऐतराज है तो बस नमाज़ पर,
ऐतराज है तो बस मोहम्मद (ﷺ) के नाम पर,
ऐतराज है तो बस जब मुसलमान अपने पैग़ंबर से मोहब्बत का इज़हार करे।
कानपुर में “I Love Mohammad” बोर्ड ने यही सच्चाई फिर सामने रख दी है—
इस देश में धार्मिक स्वतंत्रता बराबर की नहीं रही, उसे पहचान और मज़हब देखकर तोला जाता है।
🟢“कांवड़िए सड़क रोकें तो आस्था, मुसलमान नमाज़ पढ़े तो अपराध!”
📌 क्या है मामला?
कानपुर के घंटाघर इलाके में कुछ युवाओं ने “I Love Mohammad ﷺ” लिखे बैनर और होर्डिंग लगाए।
यह कोई राजनीतिक पोस्टर नहीं था, बल्कि अपने पैगंबर से मोहब्बत जताने का साधारण इज़हार था।
मगर देखते ही देखते पुलिस हरकत में आ गई, बैनर उतरवाए गए और कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया।
सोशल मीडिया पर इसका वीडियो और तस्वीरें वायरल होते ही सवाल उठने लगे—
क्या भारत में अब सिर्फ एक धर्म की आस्था को ही सम्मान मिलेगा?
🟢“भक्ति के नाम पर डीजे गूंजे तो ताली,मोहम्मद ﷺ के नाम पर मोहब्बत दिखे तो सज़ा!”
⚖️ दोहरी राजनीति?
लोगों का कहना है कि जब सड़कों पर जागरनों के लाउडस्पीकर दिन-रात गूंजते हैं,
जब कांवड़ यात्रा में महीनों ट्रैफिक ठप रहता है, तब इसे "आस्था" कहा जाता है।
लेकिन जब मुसलमान एक बोर्ड लगाकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं तो उसे "कानून-व्यवस्था का मसला" बना दिया जाता है।
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं:
➡️ "ये मामला आस्था का नहीं, पहचान का है।"
➡️ "मोहम्मद ﷺ का नाम लेने में आखिर डर क्यों?"
🟢“भारत में आज़ादी है — पर कुछ के लिए ज़्यादा, कुछ के लिए कम।”
📣 सोशल मीडिया पर तूफ़ान
इस घटना के बाद से ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #ILoveMohammad ट्रेंड करने लगा।
लोगों ने जमकर विरोध जताया और सवाल किया कि आखिरकार मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के साथ हमेशा भेदभाव क्यों?
कई मशहूर अकाउंट्स ने लिखा:
👉 "अगर ये पोस्टर किसी और देवी-देवता का होता तो क्या पुलिस ऐसे ही एक्शन लेती?"
👉 "यह सिर्फ मुसलमानों को चुप कराने का तरीका है।"
🔍 निष्कर्ष
कानपुर की इस घटना ने एक बार फिर साफ कर दिया कि भारत में आस्था की आज़ादी सबके लिए बराबर नहीं है।
कुछ के लिए सड़क पर तांडव भी पूजा है,
और कुछ के लिए मोहब्बत का एक बोर्ड भी गुनाह।
🔗 खबर के स्रोत और लिंक
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Daily Excelsior — FIR against over 2 dozen people for putting up ‘I Love Mohammad’ boards on public road in UP’s Kanpur Daily Excelsior
मुख्य बातें:-
कानपुर के Syed Nagar, Rawatpur इलाके में सार्वजनिक सड़क पर “I Love Mohammad” वाले बोर्ड और तंबू लगाए जाने के आरोप। Daily Excelsior
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9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। Daily Excelsior
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पुलिस ने कहा कि ये कानून-व्यवस्था बाधित कर सकता है, इसलिए कार्रवाई की गई। Daily Excelsior
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The Indian Express — How a Barawafat light board sparked tension over ‘new practices’ in Kanpur; FIR lodged The Indian Express
मुख्य बातें:-
बोर्ड “I Love Mohammad” Barawafat के मौके पर सजावट के हिस्से के तौर पर लगाया गया था। The Indian Express
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स्थानीय हिंदू समुदाय ने ऐतराज जताया कि यह “नया ट्रेंड” है। The Indian Express
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FIR में 24 लोगों का नाम है — 9 नामजद और बाकी 15 अज्ञात। The Indian Express
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पुलिस ने कहा कि बिना अनुमति के सार्वजनिक जगह पर बोर्ड लगाना और आयोजन करना ठीक नहीं है। The Indian Express
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The Observer Post — “I Love Mohammad” Boards Trigger FIR in Kanpur, 24+ Booked for ‘Disturbing Harmony’ The Observer Post
मुख्य बातें:-
FIR 9 सितंबर को Rawatpur थाना क्षेत्र में दर्ज हुई। The Observer Post
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हिंदू संगठनों ने इसे “प्रोवोकैशन” कहा और पुलिस से हटवाने की मांग की। The Observer Post
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पुलिस ने बोर्ड और तंबू हटवाए, लेकिन कोई गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई। The Observer Post
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Maktoob Media — Kanpur: ‘I Love Mohammed’ signboard broken by Hindutva outfit, yet 25 Muslims booked in FIR Maktoob media
मुख्य बातें:-
कहा जा रहा है कि “Hindutva outfit” ने बोर्ड तोड़ा, लेकिन FIR मुस्लिमों के खिलाफ दर्ज हुई। Maktoob media
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25 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है (नामजद + अज्ञात)। Maktoob media
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5Pillars UK — Indian Muslims charged in Uttar Pradesh over ‘I Love Muhammad’ signs 5Pillars
मुख्य बातें:
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