16/08/2025
अब तो सरकार सुन लो
रिज़वान अहमद
महंगाई से मचा है हाहाकार,
अब तो सरकार सुन लो।
बेटियों–बहनों की इज़्ज़त है तार-तार,
अब तो सरकार सुन लो।
नफ़रती लोग हैं आपे से बाहर,
अब तो सरकार सुन लो।
काम है न कारोबार,
अब तो सरकार सुन लो।
नौकरियाँ हुईं हाथों से बाहर,
अब तो सरकार सुन लो।
गरीब और अमीर दोनों ही लाचार,
अब तो सरकार सुन लो।
सबसे ज्यादा तड़प रहा है मिडिल क्लास,
अब तो सरकार सुन लो।
ना घर चलाने को पैसे हैं,
ना लोन चुकाने का कोई आस,
अब तो सरकार सुन लो।
अच्छे दिनों का वादा था तुम्हारा,
अब तो सरकार सुन लो।
लोग ढूँढ रहे हैं पिछले बुरे दिन,
अब तो सरकार सुन लो।
मंदिर भी बन गया, धारा 370 भी हट गई,
अब तो सरकार सुन लो।
मगर थाली में रोटी और थाली में सब्ज़ी,
आज भी अधूरी रह गई,
अब तो सरकार सुन लो।
दुनिया घूम ली तुमने हर कोना,
अब तो सरकार सुन लो।
मगर किसान आज भी हल से बंधा है,
उसकी हालत पर भी ध्यान दो ज़रा,
अब तो सरकार सुन लो।
देश में मुद्दे बहुत हैं —
भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी,
मगर मीडिया दिन-रात करती है
नफ़रत की ही खेती–बाड़ी,
अब तो सरकार सुन लो।
सुशांत हो या कंगना का शोर,
हर चैनल पर यही है बवाल,
पर नौजवानों के सपने जल रहे हैं,
उनके सवालों का दो कोई हल,
अब तो सरकार सुन लो।
नोटबंदी कर ली, GST भी थोप दी,
अब तो सरकार सुन लो।
मगर मज़दूर आज भी पैदल चलता है,
पेट की आग लिए सड़कों पर,
अब तो सरकार सुन लो।
आधे से ज़्यादा देश पे है तुम्हारा राज,
अब तो सरकार सुन लो।
मिल गया तुम्हें जनता का विश्वास,
तो अब निभाओ उसका ख़्याल,
अब तो सरकार सुन लो।
छोड़ दो और पाने की चाहत,
अब तो सरकार सुन लो।
कुछ लौटाओ इस भूखी-प्यासी क़ौम को,
जिसने तुम्हें बनाया है ताजदार,
अब तो सरकार सुन लो।
बोलो किस तरह करें आपसे पुकार?
अब तो सरकार सुन लो।
माई-बाप कहें या कहें जनाब,
अब तो सरकार सुन लो।
एक बात दिल से कह दूँ,
अब तो सरकार सुन लो।
आपका दिल भी जलता होगा
इस हालत को देख कर,
तो उठाओ कदम, बदलो तस्वीर,
अब तो सरकार सुन लो।
यह नागरिक —
रिज़वान अहमद —
करे आपसे पुकार,
अब तो सरकार सुन लो।
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