17/08/2025
कर्नाटक में कुदरत का कहर: बेलगाम में बाढ़ से भारी तबाही, जनजीवन अस्त-व्यस्त
बेलगाम (कर्नाटक): पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक के बेलगाम ज़िले में हो रही मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। कई नदियाँ और नाले उफान पर हैं, जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा से पूरा ज़िला प्रभावित हुआ है और आम जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
बाढ़ का पानी गाँवों और शहरों के निचले इलाकों में घुस गया है, जिससे हज़ारों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हुए हैं। कई गाँवों का संपर्क टूट गया है। किसानों को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, क्योंकि उनके खेत और फसलें पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, सैकड़ों एकड़ ज़मीन पर लगी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
इसके अलावा, भारी बारिश के कारण कई जगह मकान ढह गए हैं और सड़कें टूट गई हैं। ज़िला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को तेज़ी से शुरू कर दिया है। एनडीआरएफ (NDRF) और स्थानीय बचाव टीमें लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने और आवश्यक सहायता प्रदान करने में जुटी हुई है।
कर्नाटक में बेलगाम की बाढ़ पर और अधिक जानकारी के लिए, मैंने कुछ मीडिया आउटलेट्स से डेटा इकट्ठा किया है।
बाढ़ का प्रकोप: बेलगाम और पड़ोसी जिलों में भयावह स्थिति
The Wire की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में पिछले कुछ दिनों की भारी बारिश ने विशेष रूप से बेलगाम और उसके आसपास के ज़िलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। यहाँ की प्रमुख नदियाँ, जैसे कृष्णा और उसकी सहायक नदियाँ, खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इस कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है और कई गाँव पूरी तरह से डूब गए हैं।
The Guardian ने अपनी कवरेज में बताया है कि इस आपदा ने केवल बेलगाम को ही नहीं, बल्कि पड़ोसी ज़िलों जैसे विजयपुरा (Vijayapura), बागलकोट (Bagalkot) और रायचूर (Raichur) को भी प्रभावित किया है। इन क्षेत्रों में भी जलस्तर काफी बढ़ गया है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय प्रशासन, राज्य आपदा राहत बल (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें लगातार काम कर रही हैं। हालाँकि, प्रभावित इलाकों की विशालता और लगातार बारिश के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
BBC News के एक लेख के मुताबिक, इस बाढ़ से कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। मुख्य रूप से गन्ना, सोयाबीन और धान की फसलें बड़े पैमाने पर बर्बाद हुई हैं। किसानों को तत्काल सहायता और पुनर्वास की ज़रूरत है। इसके अलावा, कई गाँवों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर स्थापित किए हैं और वहाँ भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
इस जानकारी को और आगे बढ़ाते हुए, विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त जानकारी के आधार पर कुछ और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर रोशनी डालना चाहूंगा:
आर्थिक और मानवीय नुकसान का ब्यौरा
* मानवीय क्षति: इस आपदा में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, चिकोडी तालुका में बाढ़ से संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की जान गई है, और चार मवेशी भी बह गए हैं। इसके अलावा, राज्य भर में कुल 71 मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें बिजली गिरने और मकान ढहने जैसी घटनाएं भी शामिल हैं। सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹5 लाख का मुआवज़ा दिया है।
* कृषि पर असर: यह बाढ़ किसानों के लिए एक बड़ी त्रासदी बनकर आई है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बेलगाम के बाहरी इलाकों में मिर्च, शकरकंद, भिंडी और गन्ने जैसी प्रमुख फसलें पूरी तरह से पानी में डूब गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इकोनॉमिक टाइम्स ने भी इस बात का ज़िक्र किया है कि कई जगहों पर किसानों के उर्वरक (fertilizer) के बैग भी पानी में बह गए हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है।
* इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान: भारी बारिश और बाढ़ के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बड़ा नुकसान पहुँचा है। द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, चिकोडी उप-मंडल में 11 से अधिक पुल पानी में डूब गए हैं, जिससे 22 गाँवों का संपर्क टूट गया है और लोग फंसे हुए हैं। इसके अलावा, पूरे ज़िले में 1,385 से अधिक मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, और 45 घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। सरकार ने प्रभावित परिवारों को राहत राशि दी है।
कुल मिलाकर, इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल लोगों के जीवन और संपत्तियों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गंभीर झटका दिया है। सरकार राहत और पुनर्वास कार्यों में लगी हुई है, लेकिन पूर्ण रिकवरी में समय लग सकता है।
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