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इज़राइल ने फिर तोड़ा ग़ाज़ा संघर्षविराम, अमेरिका समझौते को बचाने की कोशिश में
ग़ाज़ा पट्टी में संघर्षविराम लागू होने के बावजूद इज़राइली हवाई हमले और गोलाबारी जारी हैं। फ़लस्तीनी अधिकारियों के अनुसार, 10 अक्टूबर से लागू हुए युद्धविराम के बाद अब तक लगभग 100 फ़लस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं।
संघर्षविराम के बावजूद 80 से अधिक उल्लंघन
ग़ाज़ा सरकार के मीडिया कार्यालय ने आरोप लगाया है कि इज़राइल ने संघर्षविराम लागू होने के बाद से कम-से-कम 80 बार उल्लंघन किया है। ये उल्लंघन सीधी गोलीबारी, ड्रोन हमले, टैंकों की गोलाबारी और आवासीय इलाक़ों पर बमबारी के रूप में हुए।
अधिकारियों के अनुसार, कई इलाक़ों में "fire belts" यानी लगातार बमबारी कर पूरी बस्तियाँ तबाह कर दी गईं। इस हिंसा में लगभग 230 लोग घायल बताए गए हैं।
मानवीय संकट गहराता जा रहा है
संघर्षविराम समझौते में ग़ाज़ा में राहत सामग्री पहुँचाने और बंदियों की अदला-बदली का प्रावधान था, लेकिन ताज़ा हिंसा के चलते राहत वितरण और सीमाओं पर आवाजाही बाधित हो गई है। स्थानीय अस्पतालों ने चेतावनी दी है कि ईंधन और दवाओं की भारी कमी है।
अमेरिका की सक्रिय मध्यस्थता
संघर्षविराम के टूटने के बाद व्हाइट हाउस ने तुरंत कूटनीतिक प्रयास तेज़ किए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ और जारेड कुश्नर को इज़राइल भेजा है ताकि ट्रम्प-प्रस्तावित 20-सूत्रीय शांति योजना को पुनर्जीवित किया जा सके।
राजनयिक सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी दबाव में इज़राइल ने सीमाएँ अस्थायी रूप से खोलने पर सहमति दी है, हालाँकि रफ़ा क्रॉसिंग अब भी बंद है।
फ़लस्तीनी पक्ष की प्रतिक्रिया
हमास ने आरोप लगाया कि इज़राइल "झूठे बहाने" बनाकर युद्धविराम तोड़ रहा है, जबकि संगठन अब भी समझौते का पालन कर रहा है। हमास नेता ख़लील अल-हैय्या के अनुसार, यह "स्पष्ट युद्ध अपराध" हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की "खामोशी हथियार के समान" है।
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों का संकट प्रयास
मिस्र और क़तर ने काहिरा में हमास और अन्य फ़लस्तीनी गुटों की बैठक बुलाई है ताकि एकीकृत राजनीतिक ढाँचा तैयार कर शांति प्रक्रिया को ठोस दिशा दी जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, यदि हिंसा जारी रही, तो यह समझौता पूरी तरह विफल हो सकता है और पश्चिम एशिया में एक नया मानवीय संकट जन्म ले सकता है।
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