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गाज़ा सिटी पर कब्ज़े की मंज़ूरी, नेतन्याहू ने युद्धविराम वार्ता भी बहाल की Palestine


 

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🚨 गाज़ा सिटी पर कब्ज़े की मंज़ूरी, | 📌 युद्धविराम वार्ता भी फिर से शुरूा | इज़राइली सेना ने शुजाइया और सबरा इलाकों में कार्रवाई तेज़ की। | मानवीय संकट का खतरापहल रखी | संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस ने चेतावनी दी |


गाज़ा सिटी पर कब्ज़े की मंज़ूरी, युद्धविराम वार्ता भी फिर से शुरू

30-सेकंड न्यूज़ पैक 1. भारत–रूस बढ़ा रहे व्यापार संबंध भारत के विदेश मंत्री और रूसी विदेश मंत्री ने मॉस्को में मुलाक़ात की और व्यापार बढ़ाने का फैसला लिया—तेल, फार्मा, कपड़ा और कृषि जैसे क्षेत्रों में साझेदारी तय की। रूस वादा करता है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद तेल की सप्लाई जारी रहेगी।

यरुशलम/गाज़ा, 21–22 अगस्त 2025
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाज़ा सिटी पर सैन्य कब्ज़े का आदेश जारी कर दिया है। सुरक्षा कैबिनेट ने इस बड़े ऑपरेशन को हरी झंडी दी और सेना ने शहर के बाहरी इलाकों में दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है।


इसी दौरान नेतन्याहू ने युद्धविराम और बंधक रिहाई की वार्ता को भी बहाल करने का निर्देश दिया। उनका कहना है कि “कोई भी समझौता केवल इज़राइल की शर्तों पर ही संभव होगा।”

मुख्य बिंदु

  • इज़राइली सेना ने शुजाइया और सबरा इलाकों में कार्रवाई तेज़ की।
  • संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस ने चेतावनी दी: “यह हमला गाज़ा के लिए विनाशकारी होगा।”
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ा, यूरोपीय संघ और अरब देशों ने इज़राइल से संयम की अपील की।

निचोड़: नेतन्याहू एक तरफ सैन्य दबाव बनाकर गाज़ा सिटी कब्ज़ा करना चाहते हैं, दूसरी तरफ़ बातचीत का दरवाज़ा भी खोल रहे हैं।


✍️ ब्लॉग/विश्लेषण 

नेतन्याहू का दोहरा खेल: वार्ता और युद्ध साथ-साथ

इज़राइल ने गाज़ा सिटी पर कब्ज़े की औपचारिक मंज़ूरी दे दी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसी वक्त प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने युद्धविराम वार्ता को फिर से शुरू करने का आदेश भी दिया।

ये रणनीति क्या बताती है?

  • एक तरफ़ नेतन्याहू सेना के ज़रिए दबाव बनाना चाहते हैं।
  • दूसरी तरफ़ वे दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वे “शांति की कोशिशें” भी कर रहे हैं।

मानवीय संकट का खतरा

संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि गाज़ा सिटी पर हमला वहां के 10 लाख से अधिक नागरिकों के लिए “तबाही” साबित होगा। यानी यह कदम केवल राजनीतिक या सैन्य नहीं, बल्कि एक बड़े मानवीय संकट की नींव भी रख रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सन्देश

अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस “डबल गेम” को लेकर असमंजस में है। सवाल ये है कि क्या असली मक़सद शांति है, या केवल युद्ध को वैध ठहराने का रास्ता?


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