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🚨 पत्रकार अभिसार शर्मा पर FIR: | उमर अंसारी का अचानक जेल ट्रांसफर| सुरक्षा कारण या कुछ और? | चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाली | 65 लाख वोटों का रहस्य |समझ गया भाई 👍


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आज की मुख्य सुर्खियां 

पत्रकार अभिसार शर्मा पर FIR. अभिवक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार या कानूनी कार्यवाही ?


नई दिल्ली: मशहूर पत्रकार और यूट्यूबर अभिसार शर्मा के खिलाफ असम में एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। उन पर असम और केंद्र सरकार की आलोचना करने और समाज में धार्मिक वैमनस्य फैलाने का आरोप लगाया गया है। इस कार्रवाई पर पत्रकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराने का एक प्रयास है। वहीं, अभिसार शर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि वह कानूनी तौर पर इसका जवाब देंगे। यह मामला सोशल मीडिया और मीडिया हलकों में बहस का विषय बना हुआ है कि क्या सरकार अपनी आलोचना को दबाने के लिए कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग कर रही है।



उमर अंसारी का अचानक जेल ट्रांसफर सुरक्षा कारण या कुछ और ?

गाज़ीपुर: मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को बिना किसी पूर्व सूचना के गाजीपुर जेल से कासगंज जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह कार्रवाई तड़के की गई, जिसके बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा गरम है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे और भी कारण हो सकते हैं। उमर अंसारी को हाल ही में उनकी मां की संपत्ति से जुड़े एक फर्जी दस्तावेज के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस अचानक हुए ट्रांसफर पर परिवार ने अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया है, जबकि प्रशासन का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।




चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल 65 लाख वोटों रहस्य? 

लखनऊ: हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के बाद, चुनाव आयोग पर 65 लाख से अधिक वोटों की विसंगति को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों और नेताओं ने आरोप लगाया है कि वोटों की संख्या और गणना में अंतर पाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि चुनाव आयोग ने वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने के मामलों पर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। The Wire जैसे विश्वसनीय मीडिया संस्थानों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है और इस पर विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित किए हैं। यह मामला चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है।







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