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🔴 [BREAKING] CCTV फुटेज विवाद: CEC ज्ञानेश कुमार बोले – 
“माँ-बहन का वीडियो क्यों देखें?

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By Times Watch News Desk | Date: 19 August 2025 | Category: National News


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🚨 CCTV फुटेज विवाद: CEC ज्ञानेश कुमार बोले – “माँ-बहन का वीडियो क्यों देखें?”

राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ आरोप, चुनाव आयोग की सफाई और IAS मेधा रूपम की चर्चा


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राहुल गांधी का आरोप: “वोट चोरी रोकने के लिए CCTV फुटेज जारी हो”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया में धांधली रोकी जाए और इसके लिए CCTV फुटेज सार्वजनिक किया जाए। राहुल का सीधा इशारा था कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता दिखानी चाहिए।

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चुनाव आयोग का जवाब: निजता बनाम पारदर्शिता

इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा –

> “क्या हमें किसी की माँ, बहन या बेटी का CCTV वीडियो जनता के साथ साझा करना चाहिए?”



CEC ने साफ किया कि वोटरों की निजता (voter privacy) चुनाव आयोग की पहली प्राथमिकता है। साथ ही “वोट चोरी” जैसे आरोपों को उन्होंने “जनता को भ्रमित करने की कोशिश” बताया।


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बहन-बेटियों वाला बयान किसने दिया?

कई जगह चर्चा हुई कि यह तंज सत्ता पक्ष ने किया। लेकिन सच्चाई यह है कि यह बयान खुद CEC ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया, न कि किसी राजनीतिक दल ने।


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अब परिवार पर भी नजर: कौन कहाँ पद पर है?

जब चुनाव आयोग पारदर्शिता की बात करता है, तो जनता यह भी देखना चाहती है कि इसके मुखिया का परिवार कहाँ-कहाँ अहम पदों पर है।

ज्ञानेश कुमार – वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC)।

IAS मेधा रूपम – 2014 बैच की IAS अधिकारी, हाल ही में नोएडा (गौतम बुद्ध नगर) की पहली महिला ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) बनीं।

पढ़ाई: St. Stephen’s College, दिल्ली विश्वविद्यालय (Economics)

उपलब्धि: राष्ट्रीय स्तर की राइफल शूटिंग चैंपियन


IAS मनीष बंसल – मेधा रूपम के पति, 2014 बैच IAS। वर्तमान में सहारनपुर में तैनात।



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जनता का बड़ा सवाल

जब CCTV फुटेज को निजता के नाम पर रोका जाता है, तो जनता पूछती है –

पारदर्शिता की कसौटी आखिर किसके लिए है?

क्या यह सिर्फ विपक्षी सवालों तक सीमित है?

या सत्ता और सिस्टम दोनों पर भी वही पैमाना लागू होना चाहिए?



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निष्कर्ष

CCTV फुटेज विवाद सिर्फ़ राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग की बहस नहीं है। यह इस बात का बड़ा इशारा है कि पारदर्शिता और निजता – दोनों के बीच संतुलन कैसे बैठाया जाए। और जब चुनाव आयोग के मुखिया के परिवार के सदस्य खुद प्रशासनिक ताक़तवर पदों पर हों, तो सवाल और भी तीखे हो जाते हैं।



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