📰 Times Watch
📜 पी.एन. ओक: इतिहास का जासूस या कल्पना का बादशाह?
भारत का इतिहास वैसे ही कम रोमांचक नहीं है, लेकिन एक शख़्स ऐसा भी हुआ जिसने इसे पूरी तरह हिला कर रख दिया। नाम था — पुरुषोत्तम नागेश ओक (P. N. Oak)।
साधारण से दिखने वाले ओक साहब ने ऐसी-ऐसी बातें लिखीं कि पढ़ने वाला हैरान रह जाए और सोचने लगे — “इतिहास की किताबों में हमें असली सच बताया गया है या आधा-अधूरा?”
🏰 ताजमहल: मोहब्बत की नहीं, महादेव की निशानी?
ओक साहब का सबसे चर्चित दावा यही रहा कि ताजमहल असल में “तेजोमहालय” नाम का शिव मंदिर था।
उनके मुताबिक शाहजहां ने पहले से मौजूद एक हिंदू मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया और उसे अपनी “मोहब्बत की निशानी” बना दिया।
🗼 क़ुतुबमीनार: मीनार नहीं, विष्णु स्तंभ
इतिहास की किताबें कहती हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने मीनार बनाई।
लेकिन ओक का कहना था — “नहीं साहब, यह असल में विष्णु स्तंभ है। मुसलमान शासकों ने बस नाम बदल दिया।”
🌍 और भी दावे जिन्होंने सबको हिला दिया
- वेटिकन = संस्कृत शब्द वटिका से।
- मक्का और काबा = संस्कृत शब्दों से जुड़े।
- यहां तक कि अंग्रेज़ी और यूरोपियन इतिहास की जड़ें भी भारत और संस्कृत से निकलीं।
🔬 इतिहासकारों की प्रतिक्रिया
अब सवाल उठता है — क्या सचमुच ऐसा था?
मुख्यधारा के इतिहासकार, ASI और अदालतें इन दावों को कचरा विज्ञान (Pseudo-history) मानती हैं।
कहते हैं कि ओक के पास ठोस पुरातात्विक सबूत नहीं थे, सिर्फ़ धारणाएँ और शब्दों के मेल-जोल पर थ्योरीज़ गढ़ीं।
🎭 फिर भी क्यों मशहूर?
सच चाहे जो भी हो, पी.एन. ओक ने इतिहास को सनसनीखेज़ मसाले के साथ परोसा।
आज भी उनके नाम पर बहस छिड़ जाती है —
- कोई उन्हें “साहसी इतिहास जासूस” कहता है।
- तो कोई “फ़र्ज़ी कहानियों का सम्राट”।
✍️ निष्कर्ष
पी. एन. ओक की थ्योरीज़ पर यक़ीन करें या न करें,
लेकिन एक बात तय है —
उन्होंने इतिहास को किताबों से निकालकर जनता की बहस का मुद्दा बना दिया।
और शायद यही उनकी असली जीत है।
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