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सत्ता का नया कानून: भ्रष्टाचार पर प्रहार या विपक्ष पर वार? | Times Watch

 

 

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सच की छलनी में छानकर, झूठ को कूड़े में डालकर


सत्ता का नया कानून : भ्रष्टाचार पर प्रहार या विपक्ष पर वार?

भारत की राजनीति में इस वक्त जिस क़ानून ने सबसे ज़्यादा हलचल मचाई है, उसे सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ़ "ऐतिहासिक कदम" बता रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है—
"एक छोटा कर्मचारी अगर जेल जाकर नौकरी खो देता है तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जेल में रहकर सत्ता का सुख क्यों भोगें?"

सुनने में यह तर्क लाजवाब लगता है, लेकिन सच्चाई की परतें खोलें तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है।


⚖️ सत्ता का तर्क

  • जेल में बंद रहकर सत्ता चलाना संविधान की मर्यादा के खिलाफ़।
  • भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कठोर कदम ज़रूरी।
  • "प्रधानमंत्री से लेकर पंचायत प्रमुख" तक सब एक ही कानून में बंधे हों।
  • जनता का भरोसा तभी लौटेगा जब कोई भी कानून से ऊपर न रहे।

🚩 विपक्ष का हमला

  • बिना दोष सिद्ध हुए केवल गिरफ्तारी के आधार पर पद छिनना लोकतंत्र की हत्या है।
  • सत्ता के इशारे पर काम करने वाली एजेंसियाँ (CBIED) कभी भी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल सकती हैं।
  • यह क़ानून भ्रष्टाचार मिटाने का हथियार नहीं, बल्कि विपक्ष को मैदान से बाहर करने की चाल है।
  • "लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही"—यही विपक्ष का सबसे बड़ा आरोप है।

🔑 असली खेल : CBI और ED की भूमिका

  • पिछले दशक में CBI और ED के केस ज्यादातर विपक्षी नेताओं पर केंद्रित रहे।
  • सत्ता पक्ष पर गिने-चुने केस, और उनमें भी राहत जल्दी।
  • विपक्ष का दावा : "ये एजेंसियाँ सत्ता की कठपुतली बन चुकी हैं।"

👉 ऐसे में यह क़ानून सत्ता के हाथ में बन सकता है राजनीतिक ब्रह्मास्त्र
किसी भी नेता को जेल में डालो, और उसकी कुर्सी अपने आप छिन जाएगी।


🌍 बुद्धिजीवियों का विश्लेषण

  • अगर जाँच एजेंसियाँ न्यूट्रल हों, तो यह क़ानून वाक़ई भ्रष्टाचारियों पर सख़्त प्रहार होगा।
  • लेकिन जब तक CBI और ED सत्ता के दबाव से बाहर नहीं आतीं, यह क़ानून लोकतंत्र का गला घोंटने का औज़ार ही रहेगा।
  • "न्याय नहीं, बल्कि सत्ता की मंशा तय करेगी कि किसे जेल भेजना है और किसे बचाना है।"
  • लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर यह सबसे बड़ा खतरा बन सकता है।

📌 निचोड़

सत्ता कहती है—"यह क़ानून भ्रष्टाचार के खिलाफ़ है।"
विपक्ष कहता है—"यह विपक्ष के खिलाफ़ है।"
और बुद्धिजीवी चेतावनी देते हैं—
👉 "जब तक CBI और ED निष्पक्ष नहीं होतीं, तब तक कोई भी क़ानून लोकतंत्र को नहीं बचा सकता।"


✍️ TIMES WATCH स्पेशल रिपोर्ट

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