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By Times Watch News Desk | Category: Inter National News
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अंतरराष्ट्रीय विशेषांक
"गाज़ा में भूख से मौतें — अमनेस्टी ने इज़राइल पर लगाया ‘योजनाबद्ध नरसंहार’ का आरोप"
नई दिल्ली/गाज़ा, 18 अगस्त (एजेन्सी):
मानवाधिकार संगठन अमनेस्टी इंटरनेशनल ने इज़राइल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि गाज़ा पट्टी में वह भोजन और मानवीय सहायता को जानबूझकर रोक रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ यह कदम सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई का हिस्सा नहीं, बल्कि पूरी आबादी को पीड़ा व विनाश की ओर धकेलने की योजनाबद्ध रणनीति है।
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62,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों की मौत (अक्टूबर 2023 से अब तक)।
गाज़ा का 70% हिस्सा मलबे में तब्दील।
लाखों लोग विस्थापित, भोजन व दवाइयों की भीषण कमी।
सहायता केंद्रों पर हमलों में 500+ फ़िलिस्तीनी मारे गए।
अमनेस्टी: “यह मानवीय त्रुटि नहीं, बल्कि जानबूझकर भुखमरी थोपना।”
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19 विस्थापित नागरिकों और 2 स्वास्थ्यकर्मियों से साक्षात्कार।
मानवीय राहत की आपूर्ति को व्यवस्थित ढंग से बाधित किया जा रहा है।
गाज़ा में बच्चों और बुज़ुर्गों पर भूख का सबसे अधिक असर।
“यह न केवल युद्ध अपराध बल्कि नरसंहार (Genocide) का हिस्सा भी हो सकता है।”
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संयुक्त राष्ट्र: “गाज़ा में स्थिति भयावह, तत्काल युद्धविराम ज़रूरी।”
यूरोपीय संघ: “मानवीय सहायता पर रोक अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन।”
अरब लीग: “इज़राइल को कठघरे में लाने के लिए वैश्विक दबाव की आवश्यकता।”
अमेरिका: आधिकारिक तौर पर चुप्पी, पर सहायता वितरण पर आलोचना जारी।
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डॉ. सलीम ख़ान (अंतरराष्ट्रीय क़ानून विशेषज्ञ):
> “अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून में भुखमरी थोपना युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है। अगर इसे योजनाबद्ध रूप से अंजाम दिया गया है, तो यह नरसंहार के आरोप को मज़बूत करता है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) को अब कार्रवाई करनी चाहिए।”
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गाज़ा की त्रासदी अब महज़ संघर्ष की कहानी नहीं रही। यह मानवता की अग्निपरीक्षा है। दुनिया की महाशक्तियाँ यदि चुप रहीं, तो इतिहास गवाह रहेगा कि भूख और मौत को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और सभ्य दुनिया ने आँखें मूँद लीं।
Thanks Rizwan Ahmed Times Watch
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