उनकी पत्नी की 'उत्पादन क्षमता' देखकर तो लगता है मानो कुदरत ने उन्हें सिर्फ इसी पवित्र कार्य के लिए भेजा हो। सोचिए
एक परिवार, 42 बच्चे और चुनावी चमत्कार
मकान नंबर B24/19। सुनने में एक साधारण-सा पता लगता है, लेकिन यह कोई आम घर नहीं, बल्कि ऐसा 'उत्पादन केंद्र' है जहाँ जनसंख्या वृद्धि के सारे सरकारी रिकॉर्ड ध्वस्त हो जाते हैं। यहाँ के मुखिया, श्री राम कमल दास, पिछले 14 सालों में 42 बच्चों के 'जनक' बन चुके हैं।
उनकी पत्नी की 'उत्पादन क्षमता' देखकर तो लगता है मानो कुदरत ने उन्हें सिर्फ इसी पवित्र कार्य के लिए भेजा हो। सोचिए — कोई सामान्य स्त्री साल में तीन बच्चे पैदा करने की कल्पना भी नहीं कर सकती, लेकिन यह परिवार तो इस मामले में ओलंपिक स्तर का प्रदर्शन कर चुका है। शायद चुनाव आयोग ने इन्हें कोई स्पेशल एडिशन मशीन गिफ्ट की होगी,
वरना यह चमत्कार भला कैसे संभव है?
वरना यह चमत्कार भला कैसे संभव है?
लेकिन असली कहानी तो अब शुरू होती है। इन बच्चों की उम्र सुनकर आप हैरान हो जाएँगे — 35 से लेकर 49 साल तक! जी हाँ, 14 साल की 'मेहनत' से पैदा हुए ये बच्चे उम्र में खुद 14 साल से काफी आगे निकल चुके हैं। एक ही माँ से पैदा हुए 13 बच्चे 37 साल के, और 4 बच्चे 42 साल के!
स्पष्ट है, यह कोई साधारण परिवार नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता वोट बैंक है। इनका जन्म अस्पताल में नहीं, बल्कि मतदाता सूची के फॉर्म पर हुआ है।
यह कहानी सीधे चुनावी गणित और वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों की तरफ इशारा करती है, जहाँ फर्जी नामों को असली मतदाता बना दिया जाता है।
राम कमल दास के 42 बच्चे कागज़ पर मौजूद हैं — और उनका एकमात्र कर्तव्य है चुनाव के दिन 'उपस्थिति' दर्ज कराना।
यह व्यंग हमें सोचने पर मजबूर करता है — क्या हमारा लोकतंत्र ऐसे कागज़ी परिवारों के कंधों पर टिका है? क्या चुनावी चमत्कार सिर्फ बैलेट बॉक्स और EVM तक सीमित हैं, या वे मतदाता सूची में ही जन्म ले लेते हैं?
राम कमल दास का परिवार इस बात का जीवंत उदाहरण है कि भारत में चमत्कार अभी भी होते हैं — बस वे देखने के लिए आपको चुनावी मौसम का इंतज़ार करना पड़ता है।
Post a Comment