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ब्रिटेन ने फ़लस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता दी
21 सितंबर 2025 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर का ऐतिहासिक ऐलान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर ने 21 सितंबर 2025 को ऐलान किया कि यूनाइटेड किंगडम अब फ़लस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में औपचारिक मान्यता देगा। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले आई है और इसका उद्देश्य दो-राज्य समाधान को नई उम्मीद देना है।
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“ब्रिटेन ने फ़लस्तीन को मान्यता दी – केयर स्टार्मर का ऐतिहासिक ऐलान।” |
लंदन से आई इस बड़ी खबर ने पूरे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में हलचल मचा दी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर ने रविवार 21 सितंबर 2025 को एक ऐतिहासिक बयान देते हुए फ़लस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का एलान कर दिया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मध्य-पूर्व में जारी संघर्ष ने दुनिया को चिंता में डाल रखा है।
स्टार्मर ने कहा कि यह निर्णय “दो-राज्य समाधान की उम्मीद को जिंदा रखने” और शांति प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए लिया गया है। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह मान्यता हामास को कोई इनाम नहीं है और भविष्य में फ़लस्तीन की सरकार में हामास की कोई भूमिका नहीं होगी।
इस घोषणा से ब्रिटेन उन देशों की कतार में शामिल हो गया है जो लंबे समय से फ़लस्तीन की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले किया गया यह फैसला अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा कूटनीतिक मोड़ माना जा रहा है।
📰 फिलिस्तीन मान्यता पर भारत-अमेरिका की प्रतिक्रियाएँ
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया
- भारत ने फ़लस्तीन को पहले से ही 18 नवंबर 1988 को मान्यता दी थी।
- कांग्रेस पार्टी ने मौजूदा मोदी सरकार की 20 महीनों की नीति की आलोचना की है, कहा है कि सरकार पिछले समय में अपेक्षित तरह की सक्रियता नहीं दिखा पायी, विश्लेषकों ने इसे “नैतिक कायरता” कहा है।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत की नीति हमेशा से दो-राज्य समाधान (two-state solution) के समर्थन में रही है, जिसमें फ़लस्तीन को एक संप्रभु, स्वतंत्र और सामाजिक न्यायकारी राज्य के रूप में देखा जा रहा है, जो इज़राइल के साथ शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करे।
🇺🇸 अमेरिका की प्रतिक्रिया
- अमेरिका ने इस मान्यता को कुछ हद तक “performative gesture” (प्रदर्शन हेतु कदम) कहा है — यानी कि यह प्रतीकात्मक कार्रवाई हो सकती है, जिसका वास्तविक प्रभाव सीमित हो।
- अमेरिका ने यह स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकताएँ अब भी हैं: फ़लस्तीन-इज़राइल संघर्ष में बन्दियों की रिहाई, इज़राइल की सुरक्षा, और क्षेत्र में शांति। विदेश विभाग ने कहा है कि ये लक्ष्य अभी भी केन्द्र में हैं।
- पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी इस विषय पर असहमति जताई है, उन्होंने कहा कि वो इस मान्यता से सहमत नहीं हैं।
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