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ट्रंप का नया प्रावधान: H-1B वीज़ा पर $100,000 फ़ीस — भारत पर बड़ा असर


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Times Watch विशेष रिपोर्ट

20 सितम्बर 2025 | Digital Edition | Special Report

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H-1B वीज़ा पर नई $100,000 फ़ीस लागू करने का फैसला किया है।
यह फैसला अमेरिकी पॉलिसी America First के तहत लिया गया है ताकि अमेरिकी नौकरियों को प्राथमिकता मिल सके।
H-1B वीज़ा किया है?
H-1B वीज़ा एक तरह का गैर-आप्रवासी (Non-Immigrant) वर्क वीज़ा है जिसे अमेरिका की सरकार जारी करती है। इसका मकसद होता है कि अमेरिका की कंपनियां किसी भी स्पेशल स्किल (IT, इंजीनियरिंग, मेडिकल, फाइनेंस, रिसर्च आदि) वाले विदेशी प्रोफेशनल्स को वहां बुलाकर काम पर रख सकें।
H-1B वीज़ा फॉर्म और पासपोर्ट”
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H-1B वीज़ा की खास बातें:

  • यह वीज़ा 3 साल के लिए मिलता है और अधिकतम 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

  • इसे पाने के लिए अमेरिकी नियोक्ता (Employer) को किसी विदेशी नागरिक के लिए आवेदन करना होता है।

  • इसकी सालाना Cap (सीमा) होती है — लगभग 85,000 वीज़ा हर साल (65,000 सामान्य और 20,000 Masters/PhD वाले छात्रों के लिए)।

  • सबसे ज्यादा लाभार्थी भारतीय IT प्रोफेशनल्स होते हैं।

ट्रंप का प्रहार क्यों?

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति काल (2017-2021) में "America First" पॉलिसी के तहत H-1B पर कई सख्ती की थी:

  • उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां सस्ते वेतन पर विदेशी लोगों को रखकर अमेरिकी नागरिकों के रोजगार छीन रही हैं।

  • H-1B वीज़ा देने के नियमों को कड़ा किया गया — जैसे योग्यता की जांच, वेतन स्तर ऊँचा करना, स्पॉन्सर करने वाली कंपनियों पर निगरानी।

  • 2020 में कोविड-19 के दौरान ट्रंप प्रशासन ने H-1B और अन्य वर्क वीज़ा पर अस्थायी बैन भी लगाया था ताकि अमेरिकी नौकरियों को बचाया जा सके।

यानि, H-1B वीज़ा का मतलब है अमेरिका में काम करने का गोल्डन गेटवे, खासकर भारतीय IT इंजीनियरों के लिए, और ट्रंप ने इसे "अमेरिकी नौकरियों की रक्षा" के नाम पर टारगेट किया।

हाँ, हाल ही में H-1B वीजा की फीस में बहुत बड़ी बढ़ोतरी हुई है — नीचे कुछ मुख्य बातें हैं:


🔍 क्या बदला है

  • अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर 2025 को एक निर्णय (proclamation) जारी किया है जिसमें H-1B वीज़ा आवेदन (petition) के साथ सालाना $100,000 की नई फीस लगाने की व्यवस्था की गई है। Reuters+3AP News+3Reuters+3

  • यह फीस उन नए H-1B आवेदन (new petitions) पर लागू होगी जो इस आदेश के बाद दायर होंगे। Hindustan Times+2Al Jazeera+2

  • पुराने वीज़ाधारकों (existing H-1B visa holders) पर यह तत्काल लागू नहीं होगा, लेकिन यदि वे वर्तमान में अमेरिका से बाहर हैं और इस तारीख़ के बाद वापस आएँगे, तो यह फीस लागू हो सकती है। Hindustan Times+1


⚠️ असर

  • भारतीय टेक कंपनियां, जो H-1B वीज़ा के ज़रिए यूएस में काम कर रहे कर्मचारियों की बड़ी संख्या भेजती हैं, इस से काफी प्रभावित होंगी क्योंकि यह खर्च बहुत बड़ा है। Reuters+2Hindustan Times+2

  • इससे छोटी कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के लिए H-1B पर भरोसा करना और मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वे इतनी भारी फीस नहीं उठाना चाहेंगे।

  • इसके साथ-साथ, कंपनियों को कर्मचारियों को अमेरिका भेजने या विदेश से आने वाले कर्मचारियों के लिए ये खर्च ध्यान में रखना पड़ेगा, और शायद कई लोग ऐसे प्रस्तावों से पीछे हटें।


     

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