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आबे ज़मज़म मक्का का वो मुक़द्दस चश्मा है जो हज़ारों साल से बह रहा है। इसके इतिहास, धार्मिक महत्व और आधुनिक साइंस के शोधों से जुड़ी तमाम जानकारियाँ इस आर्टिकल में पढ़ें।
आदाब।
आबे ज़मज़म की हिस्ट्री
आबे ज़मज़म एक पाक और मुक़द्दस पानी का चश्मा है, जो मक्का मुकर्रमा में काबा शरीफ़ से लगभग 20 मीटर दूर मौजूद है। इसकी कहानी हज़रत इब्राहीम (अ.स.) और उनकी बीवी हज़रत हाजरा (अ.स.) से जुड़ी हुई है।
* हज़रत हाजरा और इस्माईल (अ.स.): अल्लाह के हुक्म पर, हज़रत इब्राहीम (अ.स.) अपनी बीवी हज़रत हाजरा (अ.स.) और उनके दूध पीते बेटे हज़रत इस्माईल (अ.स.) को मक्का की बेआब-ओ-ग्याह वादी में छोड़ आए। उस वक़्त वहाँ कोई आबादी नहीं थी और पानी का कोई ज़रिया नहीं था।
* पानी की तलाश: जब हज़रत इस्माईल (अ.स.) को प्यास लगी और उनका हाल बेहाल होने लगा, तो हज़रत हाजरा (अ.स.) पानी की तलाश में सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच दौड़ीं। उन्होंने सात बार इन दोनों पहाड़ियों के बीच चक्कर लगाए, लेकिन पानी कहीं नहीं मिला।
* चश्मे का ज़हूर: जब वह अपनी आख़िरी दौड़ के बाद हज़रत इस्माईल (अ.स.) के पास वापस आईं, तो उन्होंने देखा कि हज़रत इस्माईल (अ.स.) के पैरों के पास से एक चश्मा फूट रहा है। यह अल्लाह का मोजिज़ा (चमत्कार) था। यह चश्मा फरिश्ते हज़रत जिब्रील (अ.स.) ने ज़मीन में अपनी एड़ी मारकर निकाला था।
* "ज़मज़म" का नाम: हज़रत हाजरा (अ.स.) ने पानी को बहता हुआ देखकर उसे रोकने के लिए कहा, "ज़मज़म" (जिसका मतलब है "थम जा" या "रुक जा")। इसी वजह से इस चश्मे का नाम "आबे ज़मज़म" पड़ा।
आबे ज़मज़म की खासियत
आबे ज़मज़म की कुछ ख़ासियतें इस तरह हैं, जो इसे आम पानी से अलग बनाती हैं:
* पाक और मुक़द्दस: इस्लाम में, यह पानी बहुत पाक और मुक़द्दस माना जाता है। हज और उमरा करने वाले लोग इसे पीते हैं और अपने साथ अपने मुल्कों में भी ले जाते हैं।
* पौष्टिक और औषधीय गुण: इसमें कई तरह के खनिज (minerals) होते हैं, जैसे कैल्शियम और मैग्नीशियम, जो इसे सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद बनाते हैं। कई लोग इसे बीमारी से शिफ़ा (इलाज) पाने के लिए भी पीते हैं, क्योंकि पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने फ़रमाया है कि यह जिस मक़सद के लिए पिया जाए, उसी के लिए काम आता है।
* कभी ना सूखना: यह चश्मा सैकड़ों सालों से चल रहा है और आज तक कभी सूखा नहीं है, चाहे लाखों लोग हज के दौरान इसका इस्तेमाल करें। इसकी सतह पर पानी का स्तर हमेशा क़ायम रहता है।
* बेहद साफ़: आबे ज़मज़म का पानी बहुत साफ़-सुथरा है और इसमें कोई बैक्टीरिया या अशुद्धियाँ (impurities) नहीं होतीं।
नीचे आबे ज़मज़म के बारे में फैक्ट-चेक किए गये इतिहास + साइंस आधारित जानकारियाँ एक सार (ब्लॉगर शैलि) में प्रस्तुत हैं। आप इन्हें ब्लॉग पोस्ट के लिए यूज़ कर सकते हैं — शुरुआत में इस्लामी इतिहास, बाद में साइंटिफिक विश्लेषण व निष्कर्ष।
आबे ज़मज़म — इतिहास
- ज़मज़म कुआँ मक्का मकरमा के बीचोंबीच है, काबा शरीफ से लगभग 20 मीटर दूर।
- इस कुएँ की उत्पत्ति हज़रत हाजरा (अ.स.) और उनके पुत्र हज़रत इस्माईल (अ.स.) से जुड़ी है। हज़रत हाजरा पानी की तलाश में सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच दौड़ती रहीं। अन्त में ज़मज़म पानी मशरू (फरिश्ते) के माध्यम से फूट पड़ा।
- नाम “ज़मज़म” हज़रत हाजरा के उस शब्द से लिया गया माना जाता है जिसमें उन्होंने पानी को रुकने का इरादा जताया — “ज़म ज़म” (रुक, ठहर) कहा।
- इस्लामी हदीसों में ज़मज़म के पानी की फज़ीलतों का ज़िक्र है — जैसे कि वह जिस मक़सद से पीया जाए, उसी के लिए फ़ायदेमंद हो।
साइंस की नजर से आबे ज़मज़म
निम्न शोध-परिणाम प्रकाशित हैं जो ज़मज़म पानी की शुद्धता, पोषण तत्व, और स्वास्थ्य लाभों पर आधारित हैं:
विषय | निष्कर्ष / तथ्य | स्रोत |
---|---|---|
रासायनिक संरचना (Mineral Content) | ज़मज़म में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, फ्लोराइड आदि खनिज पाए जाते हैं। | |
भारी धातुओं (Toxic Metals) | लेड (Lead), आर्सेनिक (Arsenic), कैडमियम (Cadmium), मरकरी (Mercury) आदि खतरनाक धातुओं की मात्रा बहुत कम है — अधिकांश अध्ययन बताते हैं कि ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर हैं। | |
शुद्धता (Purity), जीवाणु (Microbial) अध्ययन | ज़मज़म पानी सामान्यतः रोगजनक बैक्टीरिया से मुक्त पाया गया है। कुछ अध्ययन दिखाते हैं कि खुली हवा में रहने के बाद भी बैक्टीरिया का विकास कम या नहीं के बराबर है। | |
स्वास्थ्य-लाभ (Health effects) | कुछ प्रयोगात्मक जानकारियाँ हैं कि ज़मज़म पानी घाव भरने (wound healing) में सहायक हो सकता है। एक अध्ययन में चूहों (rats) पर प्रयोग करके देखा गया कि ज़मज़म पानी सेवन से सूजन-प्रतिक्रियाएँ (inflammatory cytokines) कम हुईं और भराव की प्रक्रिया तेज हुई। | |
खाद्य-और पेय पानी की वैश्विक मानक (WHO, EPA) से तुलना | अधिकांश रसायन और आयन (ions) की मात्रा WHO / EPA निर्धारित सीमाओं के अंदर पाई गई है, सिवाय कुछ मामलों में जहाँ कुल घुलित घुलनशील ठोस पदार्थ (Total Dissolved Solids — TDS) सामान्य पेयजल मानकों की तुलना में थोड़ा अधिक था। | |
शुद्ध रखने की प्रणाली (Purification / Handling) | ज़मज़म पानी की निकासी और भंडारण की प्रक्रिया काफी नियंत्रित है — स्टेनलेस स्टील पाइप, बंद टैंकों, यूवी (UV) किरणों से कीटाणुशोधन आदि उपाय अपनाए जाते हैं ताकि स्वाद, रंग, गंध में बदलाव न हो। |
सावधानियाँ / चेतावनियाँ
- TDS (कुल घुलित ठोस पदार्थ): कुछ प्रयोगों में पाया गया कि TDS ज़्यादा है, जो कि स्वाद या पानी के “कठोरापण” (hardness) को प्रभावित कर सकता है। लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है
- भंडारण का असर: यदि ज़मज़म पानी लंबे समय के लिए असुरक्षित कंटेनर में रखा जाए, विशेषकर प्लास्टिक कंटेनर, तो कुछ आयनों या स्वाद में बदलाव हो सकता है।
- प्रचार / अफवाहों से बचाव: कुछ रिपोर्टों में बहुत अधिक आर्सेनिक या अन्य हानिकारक तत्वों का दावा हुआ है, लेकिन अधिकांश वैज्ञानिक अध्ययन उन दावों को पुष्ट नहीं करते।
निष्कर्ष
- ज़मज़म पानी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत बड़ा महत्व रखता है, और इस्लामी हदीस-साहित्य में इसकी फज़ीलतें दर्ज हैं।
- विज्ञान के दृष्टिकोण से, ज़्यादातर शोध यह बताते हैं कि ज़मज़म पानी स्वस्थ, शुद्ध और पोषण तत्वों से युक्त है। कुछ मामूले अंतर हैं जैसे कि स्वाद, TDS लेवल, लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि स्वास्थ्य-हानिकारक हों।
- इसके “चमत्कारी” गुणों पर विश्वास एक धार्मिक विश्वास है, और विज्ञान उस क्षेत्र में जहाँ मापन संभव है, सकारात्मक निष्कर्ष देता है, लेकिन विज्ञान “मूर्त” चमत्कार” (miracle) की पुष्टि नहीं करता।
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