Rizwan Short News
11/08/2025
यूनिवर्सिटी और कॉलेज परिसरों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना छात्राओं के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। भारत में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें छात्राओं ने हिम्मत करके शिकायत की, लेकिन उन्हें न्याय मिलने में बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
शिकायत करने में छात्राओं को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, इसके कुछ मुख्य कारण यहाँ दिए गए हैं:
* संस्थागत उदासीनता और मिलीभगत:
कई बार कॉलेज प्रशासन अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए मामलों को दबाने की कोशिश करता है। कई शोधों से पता चला है कि संस्थान यौन उत्पीड़न के मामलों को अनदेखा करते हैं या पीड़ितों पर ही समझौता करने का दबाव डालते हैं।
* शिकायत निवारण तंत्र की कमी:
कई कॉलेजों में यौन उत्पीड़न की शिकायतें सुनने और उनका समाधान करने के लिए सही ढंग से काम करने वाली आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) नहीं होती। अगर यह समिति होती भी है, तो कई बार इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल होती है कि छात्राएं शिकायत करने से कतराती हैं।
* प्रतिशोध का डर:
शिकायत करने पर छात्राओं को अक्सर प्रतिशोध का डर होता है। उन्हें शैक्षणिक नुकसान (जैसे परीक्षा में फेल कर देना या ग्रेड कम करना), सामाजिक बहिष्कार, या डराने-धमकाने का सामना करना पड़ सकता है। यह डर तब और बढ़ जाता है जब उत्पीड़न करने वाला कोई प्रोफेसर या वरिष्ठ कर्मचारी हो।
* सांस्कृतिक और सामाजिक दबाव:
समाज में "लड़की को शर्मिंदा करने" और "दोष पीड़िता पर मढ़ने" जैसी सोच अभी भी मौजूद है। जब कोई छात्रा शिकायत करती है, तो उसे अक्सर सामाजिक रूप से शर्मिंदगी, बदनामी और पारिवारिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
* सबूत की कमी:
यौन उत्पीड़न के मामलों में अक्सर पुख्ता सबूत जुटाना मुश्किल होता है, जिससे आरोपी को बचाना आसान हो जाता है।
इन चुनौतियों के बावजूद, यह जानना महत्वपूर्ण है कि अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है, तो आपके पास कानूनी अधिकार और शिकायत दर्ज कराने के विकल्प मौजूद हैं। आप अपनी शिकायत कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में कर सकती हैं, या सीधे पुलिस में FIR दर्ज करा सकती हैं।
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