सत्यपाल मलिक को एक ऐसे नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में विभिन्न राजनीतिक दलों (समाजवादी, कांग्रेस, जनता दल, बीजेपी) में काम किया और हमेशा किसान और जनहित के मुद्दों को उठाया। उन्हें अक्सर एक ईमानदार नेता के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने अपनी ही सरकार की नीतियों की आलोचना करने में संकोच नहीं किया।
* जनता के मुद्दों पर मुखर: वे छात्र जीवन से ही आंदोलनों में सक्रिय रहे और किसान हितों की लड़ाई लड़ते रहे। 1990 में, अलीगढ़ दंगे के पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने अपना पूरा सालाना वेतन दान कर दिया था।
* भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज: उन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए, किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया था।
* सरकार की आलोचना: अपने राज्यपाल कार्यकाल के दौरान भी, उन्होंने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों की खुले तौर पर आलोचना की, और 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक पर भी सवाल उठाए।
* पार्टी से हटकर निर्णय: राजीव गांधी सरकार में बोफोर्स घोटाले के आरोपों के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जो उनके सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, सत्यपाल मलिक का करियर उपलब्धियों और विवादों से भरा था, लेकिन उनकी बेबाक टिप्पणियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है।
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