रविवार 17 अगस्त 2025
अल जज़ीरा और अन्य विदेशी मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्टों के अनुसार, यह स्थिति एक बड़े मानवीय संकट को जन्म दे रही है।
ग़ज़ा में तेज़ हुई बमबारी और विस्थापन की रणनीति
इज़राइली सेना ने हाल के दिनों में उत्तरी ग़ज़ा और ग़ज़ा सिटी पर हवाई और ज़मीनी हमले और तेज़ कर दिए हैं। इन हमलों के बाद, सेना ने वहाँ रहने वाले लाखों फ़िलिस्तीनी नागरिकों को दक्षिण की ओर जाने के लिए बार-बार चेतावनी दी है। कई मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने इसे "सामूहिक दंड" और "जबरन विस्थापन" बताया है, जो अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है।
इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य ग़ज़ा पट्टी को दो हिस्सों में बाँटना है ताकि इज़राइल उत्तरी भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सके। आलोचकों का मानना है कि यह 'जातीय सफ़ाए' (ethnic cleansing) की एक सोची-समझी रणनीति है, जिसका लक्ष्य ग़ज़ा को धीरे-धीरे फ़िलिस्तीनियों से खाली कराना है।
दक्षिण ग़ज़ा पर बेतहाशा दबाव
उत्तरी ग़ज़ा से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि दक्षिणी ग़ज़ा, ख़ासकर खान यूनिस और रफ़ा, पहले से ही लाखों लोगों से भरा हुआ है। इन इलाकों में बुनियादी सुविधाएँ पूरी तरह से चरमरा चुकी हैं।
* जनसंख्या का घनत्व: दक्षिणी ग़ज़ा की जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे पहले से ही तंग और भीड़भाड़ वाले इलाकों में और भी ज़्यादा दबाव बढ़ गया है।
* अस्तित्व का संकट: वहाँ रहने वाले लोगों को पानी, भोजन, दवाओं और चिकित्सा सहायता की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसियों के अनुसार, लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं।
* स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराईं: अस्पतालों में मरीजों की संख्या उनकी क्षमता से कई गुना ज़्यादा हो गई है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के पास ज़रूरी उपकरण और दवाएँ नहीं हैं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल लोगों का भी इलाज नहीं कर पा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह “जनसंहार जैसे हालात” पैदा कर रही है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है ताकि ग़ज़ा में मानवीय त्रासदी को रोका जा सके। कई यूरोपीय देशों और मानवाधिकार संगठनों ने भी इज़राइल की इस कार्रवाई की निंदा की है और संघर्ष विराम की माँग की है।
भविष्य की चिंताएँ
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह विस्थापन जारी रहा, तो यह मध्य पूर्व में एक अभूतपूर्व मानवीय आपदा को जन्म देगा। इससे न सिर्फ़ फ़िलिस्तीनी लोगों का भविष्य ख़तरे में पड़ेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता भी बुरी तरह प्रभावित होगी।
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