16/08/2025
नेपाल में हिंदुत्व की राजनीति का प्रभाव बढ़ रहा है, और इस उभार में भारत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उससे जुड़े संगठनों की अहम भूमिका बताई जाती है। कई रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल में हिंदुत्व के प्रसार के लिए ये संगठन कई तरह से काम कर रहे हैं।
हिंदुत्व के उदय के कारण और आरएसएस की भूमिका
* राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव: नेपाल में एक बड़ा वर्ग फिर से देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहा है। 2008 में राजशाही खत्म होने और नेपाल के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने के बाद से इस तरह की मांगें उठती रही हैं। आरएसएस का एक सहयोगी संगठन, हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS), 1992 से नेपाल में सक्रिय है। यह सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देता है। इनकी कार्यशैली, गणवेश और प्रशिक्षण भारत में आरएसएस की तरह ही हैं।
* ग्रासरूट संगठन: आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन, जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल, नेपाल में भी अपनी इकाइयां स्थापित कर चुके हैं। ये संगठन जमीनी स्तर पर काम करते हैं, रैलियां और विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं। कई रिपोर्टों में इन समूहों पर नेपाल की सरकार पर हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को लागू करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया गया है।
* आर्थिक और सामाजिक कारक: कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि नेपाल में हिंदुओं और बौद्धों की आबादी में थोड़ी कमी आई है, जबकि मुस्लिम और ईसाई आबादी में वृद्धि हुई है। इस धार्मिक बदलाव को कुछ समूह देश के अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं। इस तरह की धारणाओं को आरएसएस से जुड़े संगठन और दक्षिणपंथी पार्टियां बढ़ावा देती हैं, जिससे हिंदुत्व के पक्ष में माहौल बनता है।
* अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट: अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुछ हिंदू राष्ट्रवादी समूह नेपाल के प्रभावशाली राजनेताओं को पैसे दे रहे हैं, ताकि वे हिंदू राष्ट्र के पक्ष में बोलें। हालांकि, एचएसएस जैसे संगठनों ने इन आरोपों को निराधार बताया है।
नेपाल में हिंदुत्व का बढ़ता प्रभाव, कुछ लोगों के लिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण है, जबकि कुछ अन्य लोग इसे देश की संप्रभुता और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक संभावित खतरा मानते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जो नेपाल-भारत संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
Post a Comment