दिल्ली में बिजली महादेव रोपवे विरोध प्रदर्शन
दिल्ली में एक साधारण विरोध प्रदर्शन से बढ़कर यह आयोजन सांस्कृतिक और पर्यवरण सम्बन्धी चिंताओं का संगम है । लोगों का मानना है की यह रोपवे परियोजना प्राकर्तिक सौन्दर्य और स्थानन्य धार्मिक मान्यताओं के लिए खतरा है । जैसे ही 29 अगस्त को जंतर मंतर से आवाज़ उठेगी यह सवाल होगा---प्रगति या पर्यावरण में से कौन आगे?
मुख्य घटना क्रम
- बिजली महादेव रोपवे परियोजना के विरोध में 11 कार्डर (देवताओं के व्यवस्थापक) ने दिल्ली में प्रदर्शन का ऐलान किया।
- यह विरोध 29 अगस्त को जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग को लेकर किया जाएगा।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण स्थल पर भारी वर्षा और भू-स्थिरता समस्याओं के कारण दरारें उभर आई हैं।
- मैं खुद पिछले साल वहां गया था और वहां की शान्ति आज भी मुझे याद है अगर रोपवे वहां बनेगा तो निश्चित ही पवित्र जगह का माहौल बदलेगा
- स्थाननीय लोगो का कहना है पर्यवरण बिगड़ने से गाँव की खेती पर भी असर पड़ेगा
यह प्रदर्शन सिर्फ एक विरोध का नाम नहीं रहेगा, बल्कि एक सवाल भी उठाएगा—क्या विकास प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ साथ चल सकता है? अगर समाज और सरकार मिलकर समाधानों पर काम करें, तो दोनों को साथ ले जाया जा सकता है।
स्थाननीय समुदाय पर्यावरणीय, धार्मिक और सांस्कृतिक चिंताओं को लेकर आक्रोशित है"
परियोजना कहाँ लागू हो रही है?
यह हिमाचल प्रदेश, कूुलु ज़िला में है—विशेष रूप से पिरदी गाँव से बिजली महादेव मंदिर के बीच एक 2.4 किमी लंबा रोपवे बनाया जा रहा है। कोशिश है कि यह ऊँचे पहाड़ी टॉप तक पहुँचे, जहाँ शिव का पवित्र मंदिर है।
यह ₹284 करोड़ की परियोजना है, जो 36,000 यात्रियों को रोज़ाना ले जाने की क्षमता रखती है, और यात्रा समय को लगभग 7 मिनट तक घटा देगी
सारांश तालिका
विषय | जानकारी |
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परियोजना स्थान | पिरदी से बिजली महादेव मंदिर, कूुलु, हिमाचल प्रदेश |
लंबाई व लागत | लगभग 2.4 किमी, ₹284 करोड़ निर्माण लागत |
प्रस्तावित क्षमता | लगभग 36,000 यात्री प्रतिदिन, यात्रा समय ~7 मिनट |
विरोध के कारण | पर्यावरणीय क्षति, धार्मिक पवित्रता पर असर, पारंपरिक विश्वासों का उल्लंघन |
प्रदर्शन स्थान | 29 अगस्त को दिल्ली, जंतर-मंतर पर धरना योजनाबद्ध |
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