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आज़ादी के आंदोलन में संघ का योगदान प्रेरक” — पीएम मोदी के बयान ने खड़ा किया बड़ा सवाल


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हेडगेवार को ‘कई बार जेल’ जाने का दावा; इतिहास की कसौटी पर कितना सही?

पीएम नरेंद्र मोदी के हालिया बयान ने एक बार फिर देश की राजनीतिक और ऐतिहासिक बहस को उभार दिया है। उन्होंने कहा कि “आज़ादी के आंदोलन में संघ का योगदान बहुत प्रेरक रहा है” और जोड़ा कि डॉ. के. बी. हेडगेवार को “कई बार जेल” भी जाना पड़ा। यह बयान आते ही सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गया और विरोध/समर्थन दोनों तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएँ सुनी गईं।✍Rizwan....

सवाल सीधे और साधारण हैं: क्या संघ ने वास्तव में आज़ादी की लड़ाई में संगठनात्मक रूप से अहम योगदान दिया? क्या हेडगेवार की गिरफ्तारी/जेल-वृतांत वह रही जो मोदी जी के शब्दों से निहित दिखाई देती है? इतिहासकारों, आलोचकों और संघ-समर्थकों के बीच इस पर मत भिन्न हैं — और यही वजह है कि यह बयान सिर्फ इतिहास नहीं, राजनीति का भी टकराव बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी RSS कार्यक्रम में भाषण देते हुए”


कुंजी-बिंदु (संक्षेप में)

  • हेडगेवार का जेल जाना दस्तावेज़ों में दर्ज है, पर “कई बार” कहने की व्याख्या विवादित है।

  • संघ की गतिविधियाँ 1925 के बाद सामाजिक-सांस्कृतिक रचनाओं पर केंद्रित रहीं; स्वतंत्रता-आंदोलन की प्रमुख घटनाओं में संगठनात्मक हिस्सेदारी सीमित दिखती है।

  • राजनीतिक संदर्भ में ऐसे बयान इतिहास की व्याख्या और लोक-मन बनाम राजनीतिक संदेश दोनों का काम करते हैं।

आपकी राय चाहिए — पढ़कर बताइए:

  1. क्या आप पीएम के बयान को ऐतिहासिक सत्य मानते हैं, या इसे राजनीतिक अभिव्यक्ति समझते हैं?

  2. क्या मीडिया/नेता-वाचक ऐसे बयानों के लिए ऐतिहासिक प्रमाण माँगें या भावनात्मक/राष्ट्रवादी सन्दर्भ ही काफी हैं?



संघ – इतिहास और विवाद: तथ्यों की पड़ताल

नीचे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों, आलोचनात्मक दृष्टिकोणों और स्रोतों के आधार पर संघ की भूमिका पर तर्क दिए हैं:

1. संघ की शुरुआत और उद्देश्य

  • संघ की स्थापना 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। (Wikipedia)

  • शुरुआत में संघ ने अपना कार्य मुख्यतः संस्कृति-जागरूकता, अनुशासन और सामाजिक संगठन के रूप में लिया, न कि प्रत्यक्ष राजनीतिक आंदोलन के रूप में। (EPW)

  • इतिहासकारों का कहना है कि संघ ने प्रारंभिक दशकों में बड़े स्वतंत्रता आंदोलनों (जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन) में संगठन के रूप में भाग नहीं लिया। (The Wire)

2. हेडगेवार का जेल जाना — हाँ, लेकिन सीमित

  • हेडगेवार को 1921 में “विद्रोह-उकसावे (sedition)” के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। (Encyclopedia Britannica)

  • ब्रिटानिका (Britannica) के अनुसार, हेडगेवार कांग्रेस के सदस्य भी रहे और उन्होंने 1921 में सिपाही भाषण देने के कारण जेल सजा भोगी। (Encyclopedia Britannica)

  • लेकिन इस गिरफ्तारी को “संघ की गतिविधि” से जोड़ना मुश्किल है, क्योंकि उस समय संघ अभी अस्तित्व में या प्रारंभिक अवस्था में था, और हेडगेवार ने अपनी स्वतंत्र रूप से भागीदारी की थी — न कि संघ के नाम पर। (Wikipedia)

  • इसके बाद, संघ के रूप में कोई बड़े पैमाने की जेल या कठोर कार्रवाई का प्रमाण नहीं मिलता। (journalofpoliticalscience.com)

3. स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की “सक्रिय भूमिका” पर प्रश्न

  • एक बहुत मजबूत आलोचनात्मक दृष्टिकोण यह है कि संघ ने 1925–1947 की अवधि में बड़े आंदोलन (जैसे भारत छोड़ो आंदोलन / Quit India Movement) में भाग नहीं लिया। (The Wire)

  • कुछ रिपोर्टों में यह कहा गया है कि संघ नेताओं ने यह निर्देश दिया कि स्वयंसेवक आंदोलन में शामिल हो सकते हैं “व्यक्तिगत” रूप से, लेकिन संघ संगठन के रूप में आंदोलन में नहीं जाएँ। (Wikipedia)

  • संघ के दूसरे प्रमुख नेता, M. S. Golwalkar, ने “territorial nationalism” (क्षेत्रीय राष्ट्रवाद) को आलोचना की थी और कहा कि संघ ने मूलतः भारत को “धार्मिक संस्कृति” के आधार पर देखने की योजना बनाई, न कि सिर्फ औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ने की। (journalofpoliticalscience.com)

  • एक दस्तावेजी रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटिश सरकार ने इसे स्वीकार किया कि संघ ने किसी बड़े आंदोलन में भाग नहीं लिया और कानून के दायरे के भीतर ही कार्य किया। (journalofpoliticalscience.com)

4. आलोचनाएँ और विवाद

  • आलोचना यह है कि संघ ने स्वतंत्रता आंदोलन की राष्ट्रीय धारा से दूरी बनाए रखी और कभी-कभी कांग्रेस और जन आंदोलन से अलग अपनी रक्षा प्रणाली तैयार की। (The Wire)

  • कुछ विद्वान कहते हैं कि संघ ने “प्लेटफार्म विलंब” रणनीति अपनाई — यानी जल्दी नहीं झोका, लेकिन समय आने पर अपनी भूमिका दिखाने की कोशिश की। (The Wire)

  • आलोचक यह भी कहते हैं कि ऐसे बयान (जैसे “बहुत प्रेरित करने वाला योगदान”) इतिहास को मोड़ने या पुनर्लेखन करने की कोशिश हैं — ताकि संघ को अधिक राष्ट्रवाद के रूप में दिखाया जाए। (The Wire)


निष्कर्ष — मेरा फैसला

मोदी का बयान कि संघ का योगदान “बहुत प्रेरित करने वाला रहा है” और “हेडगेवार को कई बार जेल जाना पड़ा” — दावों का मिश्रण है:

  • हेडगेवार को जेल जाना सत्य है, लेकिन “कई बार” कहना अतिशयोक्ति हो सकती है, क्योंकि पुख्ता स्रोतों में इतने गिरफ्तारियों का विवरण नहीं मिलता।

  • संघ का योगदान आज़ादी के आंदोलन में संवैध रूप से सीमित था — संगठनात्मक रूप से वह बड़े राष्ट्रीय आंदोलनों में शामिल नहीं हुआ करता था।

  • इस तरह के बयान राजनीति में पैम्फलेटिक और प्रतीकात्मक होते हैं — इतिहास को प्रेरक कथा में बदलने की कोशिश।


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