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एक मंच पर मोदी, पुतिन और जिनपिंग: टीयानजिन SCO सम्मेलन में वैश्विक राजनीति का नया संतुलन


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01 September 2025

📰नई दिल्ली 

एक मंच पर मोदी, पुतिन और जिनपिंग:टीयानजिन SCO सम्मेलन में वैश्विक राजनीति का नया संतुलन

टीयानजिन (चीन), 1 सितंबर 2025।
Shanghai Cooperation Organisation (SCO) शिखर सम्मेलन ने सोमवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ मंच पर आए। यह तस्वीर न सिर्फ कूटनीति की औपचारिकता दिखाती है, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन में उभरते समीकरणों का प्रतीक भी है।


टीयानजिन में SCO सम्मेलन में मोदी, पुतिन और जिनपिंग का ऐतिहासिक मिलन

मोदी–पुतिन की दोस्ती का संदेश

सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के साथ भारत की दशकों पुरानी साझेदारी पर जोर देते हुए कहा:

“कठिन समय में भी भारत और रूस कभी पीछे नहीं हटे। हमारा रिश्ता विश्वास, सहयोग और साझा हितों पर आधारित है।”
मोदी और पुतिन ने सुरक्षा, अंतरिक्ष, व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर गहन चर्चा की। पुतिन ने भी यह दोहराया कि मॉस्को और नई दिल्ली के रिश्ते “रणनीतिक गहराई” रखते हैं।

शी जिनपिंग का वैश्विक संदेश

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने SCO को “नए विश्व व्यवस्था” का आधार बताते हुए पश्चिमी देशों को निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दुनिया को अब “ठंड युद्ध मानसिकता” और दबाव की राजनीति से आगे बढ़ना चाहिए। शी ने सुझाव दिया कि सदस्य देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती देने के लिए एक साझा विकास बैंक स्थापित करें।

पुतिन का पश्चिम पर हमला

रूसी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यूक्रेन संकट और NATO विस्तार पर चिंता जताई। पुतिन ने कहा कि यूरोप में अस्थिरता का कारण “असंतुलित सुरक्षा नीति” है और पश्चिम को न्यायपूर्ण शांति सुनिश्चित करनी चाहिए।

भारत की भूमिका

भारत ने इस मंच से न केवल रूस और चीन के साथ अपनी निकटता का संकेत दिया, बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनने की भी कोशिश की। मोदी ने “सहयोग, पारदर्शिता और आपसी विश्वास” को अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आधार बनाने पर जोर दिया।

प्रतीकात्मक तस्वीर

Reuters द्वारा जारी तस्वीरों में मोदी, पुतिन और जिनपिंग को साथ चलते देखा गया। विश्लेषकों का कहना है कि यह दृश्य एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Multipolar World Order) की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है।


निष्कर्ष

टीयानजिन SCO सम्मेलन में यह त्रिकोणीय उपस्थिति — भारत, रूस और चीन — एक गहरी राजनीतिक कथा कहती है। अमेरिका और पश्चिमी गठबंधन के दबाव के बीच, एशिया की तीन बड़ी ताकतें वैश्विक मंच पर अपनी एकजुटता और विकल्प प्रस्तुत करती नज़र आईं।

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