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संविधान कहाँ है? मस्जिदें अवैध, मंदिर ‘प्राचीन’: यूपी में धार्मिक स्थलों पर प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल”


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संबल में मस्जिद ध्वस्त, सरकारी ज़मीन पर अवैध निर्माण का आरोप


📰 Times Watch – देश दुनिया, रखे हर खबर पर पैनी नज़र… (Morning Edition)

उत्तर प्रदेश की धरती पर धर्म और राजनीति का संगम हमेशा से संवेदनशील रहा है।

जहाँ मस्जिदें सिर्फ इबादत का नहीं बल्कि सदियों की साझी विरासत का प्रतीक रही हैं, वहीं
फुटपाथ और सरकारी ज़मीनों पर बने मंदिरों को “प्राचीन” कहकर वैधता देने का चलन भी समाज की हकीकत है।
अब सवाल उठता है – क्या कानून सबके लिए एक है?
या फिर बुलडोज़र और नोटिस सिर्फ़ एक ही तबक़े पर गिरते हैं?
यही असली इंसाफ़ का सवाल है।✍Rizwan.....

  • संबल में मस्जिद ध्वस्त, सरकारी ज़मीन पर अवैध निर्माण का आरोप

  • हज़ारों छोटे मंदिर सरकारी/फुटपाथ ज़मीन पर, मगर बुलडोज़र कम

  • कानून की समानता और सबका साथ सबका विकास के नारे पर उठे सवाल

  • Places of Worship Act 1991 और सुप्रीम कोर्ट की हिदायतें



🔍 कुछ उदाहरण — मस्जिदों / धार्मिक स्थानों पर कार्रवाई और विवाद

  1. संबल में मस्जिद सर्वे और हिंसा (2024)

    • शाही जामा मस्जिद, संभल में अदालत ने ASI सर्वे का आदेश दिया क्योंकि दावा था कि वहाँ पहले मंदिर था। (Wikipedia)

    • दूसरे सर्वे के दौरान विवाद फैला, कुछ लोग घायल हुए और 5 लोगों की मौत हो गई। (Wikipedia)

    • यह मामला यह दिखाता है कि मस्जिदों पर इतिहास-उन्मुख दावे अक्सर अदालत/सरकार स्तर पर उठते हैं। (Business Standard)

  2. प्रयागराज — शाही मस्जिद ध्वंस

    • प्रयागराज (इलाहाबाद) में “शाही मस्जिद” नाम का 16वीं/17वीं शताब्दी का मस्जिद मार्ग चौड़ीकरण (road widening) का नाम देकर ध्वस्त किया गया। (Wikipedia)

    • इसे एक “धार्मिक स्थल” से हटाकर सड़क विस्तार का हिस्सा बताया गया। (Wikipedia)

  3. उत्त्‍तर प्रदेश — सीमावर्ती इलाकों में अवैध धार्मिक निर्माणों पर कार्रवाई

    • राज्य सरकार ने 429 गैरकानूनी धार्मिक ढांचे ध्वस्त किए हैं, जिनमें मस्जिद, मदरसे, ईदगाह तथा मजार शामिल हैं, विशेषकर उन इलाकों में जो भारत-नेपाल सीमा के करीब हैं। (The Times of India)

    • मीडिया रिपोर्ट कहती है कि कार्रवाई यह बताकर की गई कि ये संरचनाएँ राजस्व भूमि/वन भूमि पर थीं। (The Times of India)

  4. राम मंदिर मुहराब पश्चात अन्य विवाद

    • Business Standard की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में UP में कई मंदिर–मस्जिद विवाद उभरे — यूपी में ग्यानवापी, शाही इदगाह, संबल आदि मामलों का ज़िक्र। (Business Standard)

    • वहाँ बताया गया है कि हिंदू पक्ष दावा करता है कि कुछ मस्जिदें पुराने मंदिरों के स्थान पर निर्माण की गई थीं। (Business Standard)

    • उसी रिपोर्ट में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि Places of Worship Act, 1991 के तहत ऐसे मामलों में सावधानी बरती जाए और नए फैसले तुरंत न दिए जाएँ। (Business Standard)


⚖️ तुलना: मंदिरों पर कार्रवाई के उदाहरण

मैंने मंदिरों पर तेज़ी से उन्नति या ध्वंस के उदाहरण कम ही पाए जो वर्तमान राजनीति या राज्य प्रशासन द्वारा किए गए हों। यहाँ कुछ उल्लेखनीय मामलों की जानकारी:

  • मैं अभी तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिला जहाँ उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने पर मंदिरों को ध्वस्त किया हो जैसा मस्जिदों पर विवाद हो रहा है।

  • हाँ, मंदिरों के निर्माण या विस्तार अक्सर किया जाता है (नए मंदिर बनाए जाते हैं, पुरानी संरचनाएँ बढ़ाई जाती हैं), लेकिन यह कार्रवाई ध्वंस की तरह नहीं, बल्कि नव निर्माण / सौंदर्यीकरण / पुनर्निर्माण के रूप में।

  • उदाहरण स्वरूप, योगी आदित्यनाथ खुद अक्सर मंदिरों का उद्घाटन करते हैं, नए मंदिर निर्माण को बढ़ावा देते हैं। (यह एक सामान्य प्रशासनिक/राजनीतिक गतिविधि है)।


🧮 निष्कर्ष

  • मस्जिदों/इस्लामी धार्मिक स्थानों पर ध्वंस, सर्वे, दावे अधिक सार्वजनिक विवादों में दिखे हैं।

  • पूछा आपने कि क्या इसका समान उदाहरण मंदिरों पर है — मुझे ऐसे समान रूप से बड़े, प्रमाणित मामले नहीं मिले जहाँ मंदिर लगातार या मार्केटिंग रूप से ध्वस्त किये गए हों सत्ता द्वारा।

  • यह दर्शाता है कि नियमों का उपयोग भेदभाव के रूप में किया जा सकता है — यानी कानून तोड़ने वाले सभी नहीं, बल्कि विशेष समुदायों को निशाना बनाया जाए।

  • लेकिन यह भी हो सकता है कि मंदिरों पर कार्रवाई कम होती हो क्योंकि सामाजिक/राजनीतिक प्रतिरोध अधिक तीव्र हो, तो अधिकारी सीधे कदम न उठाएँ।


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