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ग़ज़ा इस समय आग और ख़ून में डूबा हुआ है। इज़रायली सेना ने अपनी बमबारी को और भी तेज़ कर दिया है,
📰 Times Watch – देश दुनिया, रखे हर ख़बर पर पैनी नज़र… (Evening Edition)
📅 तारीख़: 03 अक्टूबर 2025 | शुक्रवार
ग़ज़ा इस समय आग और ख़ून में डूबा हुआ है। इज़रायली सेना ने अपनी बमबारी को और भी तेज़ कर दिया है, जिससे 51 फ़िलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। रातभर चली एयरस्ट्राइक ने न सिर्फ़ घरों बल्कि पूरे-के-पूरे मोहल्लों को मलबे में बदल दिया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ती निंदा के बावजूद यह हमला जारी है।✍Rizwan...
मुख्य बातें:
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ग़ज़ा सिटी और उसके आस-पास के इलाक़ों में इज़रायली सेना ने अब “रिमोट कंट्रोल्ड विस्फोटक” से पूरे पड़ोसों को उड़ाना शुरू किया है।
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आख़िरी चेतावनी देकर नागरिकों को भागने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन बमबारी इतनी तेज़ थी कि लोग जान नहीं बचा पाए।
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अल जज़ीरा के मुताबिक़, 51 लोगों की मौत हुई, जिनमें कई बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
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लगातार मानवीय संकट गहराता जा रहा है — अस्पताल भर चुके हैं, बिजली और दवाइयाँ लगभग ख़त्म।
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संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इस बमबारी की कड़ी आलोचना की है।
सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
अंतरराष्ट्रीय मीडिया, मानवाधिकार संगठन और सोशल मीडिया पर #StopBombingGaza जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। UN, Amnesty International और कई देशों ने इज़रायल से संयम बरतने की अपील की है।
स्रोत:
🔗 Al Jazeera Live Updates – Children among 51 killed as Israel ramps up bombardment
ग़ज़ा इस समय आग और ख़ून में डूबा हुआ है। इज़रायली सेना ने अपनी बमबारी को और भी तेज़ कर दिया है, जिससे 51 फ़िलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं।
लेकिन ये सिर्फ़ आँकड़े नहीं हैं – हर संख्या के पीछे एक परिवार की दास्तान और एक माँ की सिसकियाँ छिपी हैं।
नैंसी अबू मत्रूद जैसी माताएँ, जो जुड़वा बच्चों को खो चुकी हैं; अल-नज्जार परिवार, जिनके 9 बच्चे एक ही हमले में मारे गए; और 11 साल की याक़ीन हम्मद, जो बच्चों के लिए मदद बाँटती थी – अब इस हिंसा का चेहरा बन गए हैं।
इन कहानियों ने दुनिया को हिला दिया है और UNICEF व Save the Children जैसी संस्थाएँ कह रही हैं कि ग़ज़ा “बच्चों का कब्रिस्तान” बन चुका है।
मुख्य बातें:
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ग़ज़ा सिटी और उसके आस-पास के इलाक़ों में इज़रायली सेना ने अब “रिमोट कंट्रोल्ड विस्फोटक” से पूरे पड़ोसों को उड़ाना शुरू किया है।
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आख़िरी चेतावनी देकर नागरिकों को भागने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन बमबारी इतनी तेज़ थी कि लोग जान नहीं बचा पाए।
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अल जज़ीरा के मुताबिक़, 51 लोगों की मौत हुई, जिनमें कई बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
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लगातार मानवीय संकट गहराता जा रहा है — अस्पताल भर चुके हैं, बिजली और दवाइयाँ लगभग ख़त्म।
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संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इस बमबारी की कड़ी आलोचना की है।
पीड़ित परिवारों की कहानियाँ:
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नैंसी अबू मत्रूद – गर्भवती, जुड़वा बच्चों को खो चुकीं; बीमार दो साल की बेटी अब बिना इलाज के।
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अल-नज्जार परिवार – एक ही हवाई हमले में 9 बच्चों की मौत; पिता भी कुछ दिन बाद चल बसे।
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याक़ीन हम्मद – 11 साल की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, जो बच्चों की मदद करती थी, एयरस्ट्राइक में मारी गई।
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UNICEF – “Shoeless, starving and nowhere to go” – बच्चे नंगे पैर मलबे में चलते हुए सुरक्षित ठिकाने ढूंढ रहे हैं।
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Save the Children – हर घंटे औसतन एक बच्चा मारा जा रहा है।
सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
अंतरराष्ट्रीय मीडिया, मानवाधिकार संगठन और सोशल मीडिया पर #StopBombingGaza जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। UN, Amnesty International और कई देशों ने इज़रायल से संयम बरतने की अपील की है।
स्रोत:
🔗 Al Jazeera Live Updates – Children among 51 killed as Israel ramps up bombardment
🔗 Reuters – Gaza mother clings to her sick daughter after losing twin babies
🔗 UNICEF Press Release – Shoeless, starving and nowhere to go
नीचे कुछ पीड़ित परिवारों की कहानियाँ हैं — दर्द, हताशा और उम्मीद के बीच:
👶 नैंसी अबू मत्रूद – एक माँ की पीड़ा
22 वर्षीय नैंसी गर्भवती थीं, जब बमबारी ने उनके घर पर कहर ढाया। उन्हें नवजात जुड़वा बच्चों – महमूद और फ़रैदा – को खोना पड़ा, क्योंकि अस्पतालों में सुविधाएँ न होने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। अब उनकी एक दो वर्ष की बेटी एत्रा, जिसे कैंसर है, बिना आवश्यक इलाज के संघर्ष कर रही है।
नैंसी मजबूरी में पैदल ही गाज़ा सिटी से बाहर आई, लेकिन असुरक्षित हालात ने उन्हें और उनके परिवार को अधूरा कर दिया।
(Reuters)
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ग़ज़ा में तबाह हुए मकान, मलबे में बचाव कार्य करते लोग। |
🏠 अल-नज्जार परिवार – 9 बच्चों की मौत
23 मई 2025 को खान यूनिस में अल-नज्जार परिवार का घर एक हवाई हमले में ध्वस्त कर दिया गया। इस दर्दनाक घटना में 9 बच्चे मारे गए।
पिता हमदी अल-नज्जार कुछ समय बाद अपनी चोटों के कारण जीवन छोड़ गए।
उनके 11 वर्षीय बेटे आदम ने कई सर्जरी झेली और जिंदा रहने के लिए संघर्ष किया।
माँ, एक चिकित्सक (पेडियेट्रिशियन), हमले के समय अस्पताल में थीं और उन्हें शारीरिक रूप से नहीं छुआ गया।
(Wikipedia)
📱 याक़ीन हम्मद – बचपन उस्मत में चला गया
11 साल की याक़ीन हम्मद गाज़ा की सबसे कम उम्र की सोशल मिडिया इन्फ्लुएंसर थीं।
वो अक्सर सहायता कार्यों और बच्चों के लिए सामग्री बाँटती थीं।
23 मई 2025 की रात उनके घर पर एयरस्ट्राइक चली और याक़ीन मारी गईं। उनकी फ़ोटो और वीडियोज़ आखिरी पोस्ट में दिखाती हैं कि कैसे उन्होंने युद्ध के बीच भी खुशियाँ बाँटने की कोशिश की थी।
(Wikipedia)
😢 और कहानियाँ जो अनकही रह जाती हैं
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“Shoeless, starving and nowhere to go” — UNICEF ने बताया कि बच्चे नंगे पैर मलबे में चलते हैं, कराहते हैं, और सुरक्षित ठिकाने की तलाश में हैं। “अब कहीं सुरक्षित नहीं” उन बच्चों की पुकार है।
(UNICEF) -
बच्चों की मौत की रफ्तार — Save the Children के अनुसार, अभी तक 20,000 से अधिक बच्चे मारे जा चुके हैं, औसतन हर घंटे एक बच्चा।
(Save the Children International) -
बमबारी में हर 24 घंटे में 28 बच्चों की मौत — UNICEF ने रिपोर्ट किया कि औसतन हर दिन 28 बच्चे इज़रायली हमलों में मारे जाते हैं।
(Al Jazeera) -
एक रिपोर्ट के अनुसार, 60,000 से अधिक गाज़ा के लोग मारे गए हैं, जिनमें 18,500 बच्चे शामिल हैं।
(The Washington Post)
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