Top News

₹5 का बिस्किट, 'फोटोजीवी' नेता और इंसानियत का अपमान: राजस्थान के अस्पताल में वायरल वीडियो की पूरी कहानी


TIMES WATCHदेश दुनिया, 

रखे हर खबर पर पैनी नज़र…"

हम खबरों में से खबरें निकालते हैं बाल की खाल की तरह, New Delhi Rizwan

जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल का वो वॉर्ड, जहाँ मरीज़ों की ख़ामोशी और दवाइयों की हल्की गंध पसरी थी,

जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल का वो वॉर्ड, जहाँ मरीज़ों की ख़ामोशी और दवाइयों की हल्की गंध पसरी थी, अचानक चहल-पहल से भर गया। भगवा दुपट्टों में कुछ कार्यकर्ता, एक स्थानीय 'सेवा पखवाड़ा' के तहत फल और बिस्किट बाँटने पहुँचे थे। इस दल में एक प्रमुख महिला नेता भी थीं, जो 'सेवा' की इस मुहिम को दस्तावेज़ करना चाहती थीं।

कैमरे ऑन थे, और हर हाथ में बिस्किट का पैकेट किसी पुरस्कार की तरह थमाया जा रहा था। फ़िर आया वो पल, जिसने पूरे घटनाक्रम को महज़ एक बिस्किट की क़ीमत में समेट दिया।

एक बुज़ुर्ग महिला मरीज़, जिनकी आँखें शायद थकान या बीमारी से थोड़ी धुँधली थीं, अपने बेड पर लेटी थीं। महिला नेता उनके पास पहुँचीं। उन्होंने एक बिस्किट का पैकेट मरीज़ के हाथ में रखा, मुस्कुराईं, और तुरंत कैमरामैन को इशारा किया। 'सेवा' का आदर्श शॉट कैप्चर हो चुका था। जैसे ही कैमरा थोड़ा ढीला पड़ा, बिस्किट का वो पैकेट, जो मरीज़ को 'दान' किया गया था, चुपके से वापस खींच लिया गया।

पलक झपकते ही सेवा का ड्रामा ख़त्म!

मरीज़ ने शायद ध्यान नहीं दिया, या शायद वह इतनी कमज़ोर थीं कि विरोध न कर सकीं। लेकिन एक निगाह, एक अदृश्य लेंस, उस पूरी ओछी हरकत को क़ैद कर चुका था।



अगले ही पल, द लल्लनटॉप जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर वो क्लिप आग की तरह फैल गई। हेडलाइन चीख रही थी: "मरीज़ को बिस्किट दिया, फ़ोटो खिंचवाई, वापस लिया।"

ये महज़ एक ₹10 के बिस्किट की बात नहीं थी। ये उस 'सेवा' की राजनीति पर सवाल था, जहाँ मानवीयता की जगह सिर्फ़ 'मार्केटिंग स्टंट' रह जाता है। लोगों ने सवाल किया: क्या ग़रीब और बीमार लोग सिर्फ़ नेताओं की चमकीली तस्वीरों के लिए इस्तेमाल होने वाली चीज़ हैं? क्या सेवा की परिभाषा सिर्फ़ कैमरे के सामने तक सीमित है?

इस एक बिस्किट ने बता दिया कि जब इमेज बिल्डिंग और जन सेवा टकराती है, तो बिस्किट का पैकेट मरीज़ के हाथ में नहीं, बल्कि नेता के 'पब्लिसिटी फोल्डर' में ज़्यादा देर तक टिकता है।


इस घटना पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि इस तरह की पब्लिसिटी ज़रूरी है?✍Rizwan...

    Post a Comment

    Previous Post Next Post