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ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र ने घोषित किया भीषण अकाल, 24 घंटे में दो लोगों की भूख से मौत


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🚨 गाज़ा में हालात और बिगड़े | 📌आधिकारिक तौर पर अकाल घोषित​ | मानवीय कीमत: भूख से मौतें | पिछले 24 घंटों में कम से कम दो फ़िलिस्तीनियों की मौत भूख से हुईी | ⚡ इंसानियत की नाकामी |समझ गया भाई 👍

ग़ाज़ा में क्या हो रहा है – अब तक की जानकारी

1. आधिकारिक तौर पर अकाल घोषित

  • संयुक्त राष्ट्र समर्थित इंटीग्रेटेड फ़ूड सेक्योरिटी फ़ेज़ क्लासिफ़िकेशन (IPC) ने औपचारिक रूप से ग़ाज़ा सिटी में अकाल घोषित कर दिया है — ऐसा दर्जा मध्य पूर्व में पहले कभी नहीं देखा गया। IPC ने इस अकाल को “पूरी तरह इंसानी बनाई हुई त्रासदी” बताया और चेतावनी दी कि बड़े पैमाने पर जनहानि रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की ज़रूरत है।
  • पहले से ही 5 लाख से अधिक लोग विनाशकारी अकाल की स्थिति का सामना कर रहे हैं और अनुमान है कि यह संख्या सितंबर के अंत तक बढ़कर 6.41 लाख हो सकती है।

2. मानवीय कीमत: भूख से मौतें

  • पिछले 24 घंटों में कम से कम दो फ़िलिस्तीनियों की मौत भूख से हुई
  • व्यापक आँकड़ों के अनुसार संघर्ष शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 273 लोगों, जिनमें 112 बच्चे शामिल हैं, की मौत भूख से हो चुकी है (ग़ाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार)।

ग़ाज़ा अकाल3. नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस अकाल को “इंसानियत की नाकामी” और “इंसानी बनाई हुई आपदा” बताया।
  • IPC रिपोर्ट कहती है कि अगर राहत पहुँचाई जाए तो अकाल पूरी तरह टाला जा सकता है।
  • इज़राइल ने अकाल की घोषणा को खारिज किया, इसे झूठा और पक्षपातपूर्ण बताते हुए दावा किया कि ग़ाज़ा में पर्याप्त मदद पहुँचाई गई है और भूख को हथियार बनाने की कोई नीति नहीं है।
  • वहीं यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान समेत कई अंतरराष्ट्रीय सरकारें और मानवीय संगठन इस स्थिति को युद्ध अपराध की श्रेणी में बता रहे हैं।

सारणी (Summary Table)

विषय मुख्य विवरण
अकाल की स्थिति IPC द्वारा ग़ाज़ा सिटी में आधिकारिक रूप से घोषित; 5 लाख से अधिक प्रभावित; और बढ़ने की आशंका
हालिया मौतें 24 घंटे में 2 मौतें; कुल लगभग 273, जिनमें 112 बच्चे
प्रतिक्रियाएँ इसे इंसानी बनाई त्रासदी कहा गया; तुरंत मदद की अपील; इज़राइल ने नकारा; वैश्विक निंदा तेज़

इसका क्या मतलब है

यह अब किसी आसन्न संकट से आगे निकल चुका है—ग़ाज़ा में अकाल एक पुख़्ता हक़ीक़त है। हालात बेहद गंभीर हैं और तेज़ी से बिगड़ रहे हैं। इसके मानवीय, नैतिक और क़ानूनी परिणाम गहरे हैं। और आगे मौतें रोकने के लिए तुरंत और बिना रुकावट मदद पहुँचाना ज़रूरी है




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