📰Times Watch - दम तोड़ते सच को बचाने की कोशिश,
31 अगस्त 2025
📰नई दिल्ली
1) कहाँ—संक्षेप (states/UTs जहाँ सामान्यतः कठोर सम्पूर्ण वध-प्रतिबंध नहीं दिखते)
आम-सूत्रों और हालिया विश्लेषणों के अनुसार ऐसे राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों की सूची में अक्सर नाम आते हैं:
Kerala, West Bengal, Goa, Arunachal Pradesh, Mizoram, Meghalaya, Nagaland, Tripura — (और कुछ रिपोर्टों में Sikkim / कुछ केंद्रशासित क्षेत्र भी अलग सूची में दिखते)। इन राज्यों में कानूनों की संरचना अलग-अलग है — “पूरी तरह अनुमति” से लेकर “कुछ उम्र/प्रकार पर रोक” तक भिन्नता रहती है।
2) हर प्रमुख आइटम के बाद — वर्तमान (सरकार/पार्टी) — क्या BJP से सीधे जुड़ी है?
(नीचे हर राज्य के साथ एक संक्षिप्त वर्तमान-सरकार संकेत — स्रोत दिए हैं)
- Kerala — सरकार: Left Democratic Front (मुख्य: CPI(M)) — BJP शासित नहीं।
- West Bengal — सरकार: Trinamool Congress (Mamata Banerjee) — BJP शासित नहीं।
- Goa — सरकार: Pramod Sawant (BJP) — BJP-नियंत्रित (हां)।
- Arunachal Pradesh — सरकार: Pema Khandu (BJP) — BJP-नियंत्रित (हां)।
- Tripura — सरकार: (BJP नेतृत्व/CM Manik Saha का नेतृत्व) — BJP-नियंत्रित (हां)।
- Mizoram — सरकार: राज्य की स्थानीय/क्षेत्रीय पार्टी (हाल के वर्षों में ZPM / Lalduhoma जैसी सेन्ट्रल-स्थानीय पार्टियाँ सक्रिय) — आम तौर पर भाजपा प्रमुख शासक नहीं; स्थानीय दलों का प्रभुत्व।
- Meghalaya — सरकार: Conrad Sangma (NPP) — सीधे BJP नेता नहीं (NPP क्षेत्रीय) — पर राज्यों में गठबंधन/संबंध भिन्न होते हैं।
- Nagaland — सरकार: NDPP/स्थानीय गठबंधन (Neiphiu Rio) — NDPP + BJP का स्थानीय गठबंधन/सहयोग रहता है (सीधा BJP शासित नहीं पर गठबंधन का असर)।
- Sikkim — सरकार: Sikkim Krantikari Morcha (SKM) — यह NDA के साथ जुड़ा/सहयोगी दिखता है; सीधे-सीधे राज्य BJP-शासित नहीं।
संक्षेप में: जिन राज्यों/क्षेत्रों में वध-रोक कम पाई जाती है, उनमें कुछ BJP-शासित भी हैं (उदा. Goa, Arunachal, Tripura), लेकिन कई जगह राज्य-स्तरीय/क्षेत्रीय और विपक्षी दलों की सरकारें भी हैं (Kerala, West Bengal, Meghalaya, Mizoram आदि)। यानी “जहाँ गाय काटी जाती है → सीधे-सीधे वही भाजपा शासित हैं” — यह सामान्यीकरण सही नहीं होगा।
3) उन राज्यों में गाय/बीफ़ का पैदा/बिक्री-चैन — ज्यादातर कौन बेचते/कहां से आती हैं?
अध्ययन और अख़बार रिपोर्ट्स के हिसाब से मुख्य भूमिका निभाने वाले समूह आमतौर पर ये हैं:
- स्थानीय पशुपालक/चरवाहे — जो पशु बेचते/हाट-मार्केट में लाते हैं।
- मीडिलमैन/ट्रैडर (बिचौलिये) — छोटे-बड़े दलाल जो गाँव से खरीद कर शहर के कसाईखानों/ब्यापारियों तक पहुँचाते हैं।
- कसाई/मास-व्यापारी और स्लॉटरहाउस — जहाँ पशु काटे जाते हैं और मांस प्रोसेस होता है (कानूनी स्थल जहाँ अनुमति हो)।
- होटल/रेस्टोरेंट और स्थानीय मार्केट — उपभोक्ता-आधारित खरीद।
- अवैध सप्लाई-नेटवर्क / स्मगलिंग — जिन राज्यों में कड़े प्रतिबंध हैं वहां से सीमावर्ती राज्यों/देशों की ओर अवैध ट्रैफिक भी रिपोर्ट हुआ है।
इनका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था (मुनाफ़ा/रोज़गार), छोटे-उद्योग (फ्लेयरिंग), और कभी-कभी कमज़ोर वर्गों पर आर्थिक दबाव के रूप में दिखता है।
(निष्कर्षित उदाहरण: कुछ रिपोर्टों में पाए गया है कि बीफ़-बैन की वजह से “मांस विक्रेता, होटल, छोटे उद्योग” विशेष रूप से प्रभावित होते हैं — और अवैध कटान/बिक्री भी बढ़ती है जहाँ कड़े कानून हैं।)
Post a Comment