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भारत में गाय वध कानून: किन राज्यों में प्रतिबंध और कहाँ अब भी अनुमति”

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कहाँ—संक्षेप (states/UTs जहाँ सामान्यतः कठोर सम्पूर्ण वध-प्रतिबंध नहीं दिखते | वर्तमान (सरकार/पार्टी) — क्या BJP से सीधे जुड़ी है? | उन राज्यों में गाय/बीफ़ का पैदा/बिक्री-चैन — ज्यादातर कौन बेचते/कहां से आती हैं? | Kerala, West Bengal, Goa, Arunachal Pradesh, Mizoram, Meghalaya, Nagaland, Tripuraी | (और कुछ रिपोर्टों में Sikkim / कुछ केंद्रशासित क्षेत्र भी अलग सूची में दिखते) |समझ गया भाई 👍

📰Times Watch - दम तोड़ते सच को बचाने की कोशिश,

31 अगस्त 2025

📰नई दिल्ली

कौन-कौन से राज्य (या केंद्रशासित क्षेत्रों) जहाँ आम तौर पर गाय/गौवंश के वध पर कड़े प्रतिबंध नहीं माने जाते (या जहां अनुमति है), और उन राज्यों की वर्तमान सरकारें किसकी हैं / भाजपा से क्या ताल्लुक है — साथ ही उन राज्यों में बिकने/काटे जाने वाली गायों का सप्लाई-चेन (कौन बेचता है) का संक्षेप नीचे दे रहा हूँ। मैंने हालिया रिपोर्ट/समीक्षाओं और सरकारी/दैनिक ख़बरों पर आधारित स्रोतों से जानकारी निकाली है — नोट: नियम जल्दी बदलते हैं, इसलिए नीचे दिए गए बिंदु स्रोतों के साथ दिए गए हैं।

दिल्ली सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को नकद प्रोत्साहन बढ़ाया – दिल्ली सरकार ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं (Olympics और Commonwealth Games) में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए नगद पुरस्कारों को बढ़ाकर क्रमशः 7 करोड़ (स्वर्ण), 5 करोड़ (रजत), और 3 करोड़ (कांस्य) कर दिया है। साथ ही, खिलाड़ियों को नौकरी की सुरक्षा, बेहतर कोचिंग, पोषण और अवसंरचना जैसी सुविधाएँ भी प्रदान की जायेंगी। इस घोषणा का श्रेय मुख्यमंत्री Rekha Gupta ने PM मोदी और नए

1) कहाँ—संक्षेप (states/UTs जहाँ सामान्यतः कठोर सम्पूर्ण वध-प्रतिबंध नहीं दिखते)

आम-सूत्रों और हालिया विश्लेषणों के अनुसार ऐसे राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों की सूची में अक्सर नाम आते हैं:
Kerala, West Bengal, Goa, Arunachal Pradesh, Mizoram, Meghalaya, Nagaland, Tripura — (और कुछ रिपोर्टों में Sikkim / कुछ केंद्रशासित क्षेत्र भी अलग सूची में दिखते)। इन राज्यों में कानूनों की संरचना अलग-अलग है — “पूरी तरह अनुमति” से लेकर “कुछ उम्र/प्रकार पर रोक” तक भिन्नता रहती है।

2) हर प्रमुख आइटम के बाद — वर्तमान (सरकार/पार्टी) — क्या BJP से सीधे जुड़ी है?
“भारत में गाय वध कानूनों का राज्यवार मानचित्र”

(नीचे हर राज्य के साथ एक संक्षिप्त वर्तमान-सरकार संकेत — स्रोत दिए हैं)

  • Kerala — सरकार: Left Democratic Front (मुख्य: CPI(M)) — BJP शासित नहीं
  • West Bengal — सरकार: Trinamool Congress (Mamata Banerjee) — BJP शासित नहीं
  • Goa — सरकार: Pramod Sawant (BJP) — BJP-नियंत्रित (हां)
  • Arunachal Pradesh — सरकार: Pema Khandu (BJP) — BJP-नियंत्रित (हां)
  • Tripura — सरकार: (BJP नेतृत्व/CM Manik Saha का नेतृत्व) — BJP-नियंत्रित (हां)
  • Mizoram — सरकार: राज्य की स्थानीय/क्षेत्रीय पार्टी (हाल के वर्षों में ZPM / Lalduhoma जैसी सेन्ट्रल-स्थानीय पार्टियाँ सक्रिय) — आम तौर पर भाजपा प्रमुख शासक नहीं; स्थानीय दलों का प्रभुत्व।
  • Meghalaya — सरकार: Conrad Sangma (NPP) — सीधे BJP नेता नहीं (NPP क्षेत्रीय) — पर राज्यों में गठबंधन/संबंध भिन्न होते हैं।
  • Nagaland — सरकार: NDPP/स्थानीय गठबंधन (Neiphiu Rio) — NDPP + BJP का स्थानीय गठबंधन/सहयोग रहता है (सीधा BJP शासित नहीं पर गठबंधन का असर)
  • Sikkim — सरकार: Sikkim Krantikari Morcha (SKM) — यह NDA के साथ जुड़ा/सहयोगी दिखता है; सीधे-सीधे राज्य BJP-शासित नहीं।

संक्षेप में: जिन राज्यों/क्षेत्रों में वध-रोक कम पाई जाती है, उनमें कुछ BJP-शासित भी हैं (उदा. Goa, Arunachal, Tripura), लेकिन कई जगह राज्य-स्तरीय/क्षेत्रीय और विपक्षी दलों की सरकारें भी हैं (Kerala, West Bengal, Meghalaya, Mizoram आदि)। यानी “जहाँ गाय काटी जाती है → सीधे-सीधे वही भाजपा शासित हैं” — यह सामान्यीकरण सही नहीं होगा।

3) उन राज्यों में गाय/बीफ़ का पैदा/बिक्री-चैन — ज्यादातर कौन बेचते/कहां से आती हैं?

अध्ययन और अख़बार रिपोर्ट्स के हिसाब से मुख्य भूमिका निभाने वाले समूह आमतौर पर ये हैं:

  • स्थानीय पशुपालक/चरवाहे — जो पशु बेचते/हाट-मार्केट में लाते हैं।
  • मीडिलमैन/ट्रैडर (बिचौलिये) — छोटे-बड़े दलाल जो गाँव से खरीद कर शहर के कसाईखानों/ब्यापारियों तक पहुँचाते हैं।
  • कसाई/मास-व्यापारी और स्लॉटरहाउस — जहाँ पशु काटे जाते हैं और मांस प्रोसेस होता है (कानूनी स्थल जहाँ अनुमति हो)।
  • होटल/रेस्टोरेंट और स्थानीय मार्केट — उपभोक्ता-आधारित खरीद।
  • अवैध सप्लाई-नेटवर्क / स्मगलिंग — जिन राज्यों में कड़े प्रतिबंध हैं वहां से सीमावर्ती राज्यों/देशों की ओर अवैध ट्रैफिक भी रिपोर्ट हुआ है।
    इनका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था (मुनाफ़ा/रोज़गार), छोटे-उद्योग (फ्लेयरिंग), और कभी-कभी कमज़ोर वर्गों पर आर्थिक दबाव के रूप में दिखता है।

(निष्कर्षित उदाहरण: कुछ रिपोर्टों में पाए गया है कि बीफ़-बैन की वजह से “मांस विक्रेता, होटल, छोटे उद्योग” विशेष रूप से प्रभावित होते हैं — और अवैध कटान/बिक्री भी बढ़ती है जहाँ कड़े कानून हैं।)


असल सवाल?

मुद्दा ये है के गौ हत्या के नाम पर बहुत सी वोटें प्राप्त होने के बावजूद ऐसी किया बात रही होगी या किया समस्या या यूं कह लेते हैं किया मज़बूरी रही होगी या किया  मज़बूरी है के जिन राज्यों में भाजपा की या भाजपा की मदद सहयोग से चल रही सरकारें हैं वहां पर गौवध परिबन्धित नहीं है? 
नोट: ये कुछ राज्यों की बातें हो रही हैं, बाकि तो लहभग भाजपा शासित राज्यों में गौवध पूरी तरह प्रतिबधित है  और गौ हत्या पर कड़ी सजा के प्रावधान हैं,सिर्फ कथित गौ हत्यारा होने पर उसके घर पर बिना अदालत के आदेश बिना जांच बुलडोज़र चलाने के प्रावधान हैं,    

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